जानिए क्या है जलीकट्टू और उसके नियम – What is Jallikattu in Hindi

दोस्तों आपका हमारी वेबसाइट में स्वागत है| आज की यह हमारी पोस्ट जानिए क्या है जलीकट्टू और उसके नियम – What is Jallikattu in Hindi पर आधारति है| जलीकट्टू तमिलनाडू का एक बहुत पुराना सांडो का खेल है, जो अभी हाल ही चर्चा का विषय बना है| जलीकट्टू के बारे में आप विस्तारपूर्वक इस लेख में पढ़ेंगे |

खबरों में क्यों?

. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 29 नवंबर को कार्यकर्ताओं से पूछा कि उन्हें तमिलनाडु के ‘जल्लीकट्टू कानून’ में क्या गलत लगता है जबकि यह जानवरों को ‘अनावश्यक दर्द’ से बचाता है और राज्य में लोगों की ‘संस्कृति और परंपराओं’ को संरक्षित करने की मांग करता है।

• ज्ञात हो कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम 2017 और पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम ( जल्लीकट्टू का संचालन) नियम 2017 ने भी लोगों की संस्कृति और परंपराओं को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। याचिकाकर्ता का मानना है कि यह कानून जल्लीकट्टू को पूरी तरह से परिभाषित नहीं करती।

क्या है जल्लीकट्टू ?

•जल्लीकट्टू तमिलनाडु राज्य में दरअसल लगभग 2,000 वर्ष पुराना सांडों को काबू में करने का एक प्रतिस्पर्धी खेल है। जो कि जल्लीकट्टू बेल्ट के नाम से विख्यात तमिलनाडु के मदुरई, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुदुक्कोट्टई और डिंडीगुल जिलों में लोकप्रिय है।

•ये खेल यहां के गांवों में मुख्य पोंगल त्योहार से ठीक पहले मट्टू पोंगल के दौरान खेला जाता है। जहां व्यक्ति को अपने

•शारीरिक बल के अलावा दिमाग का परिचय देते हुए एक खतरनाक सांड को काबू करना होता है।

•जल्लीकट्टू शब्द की उत्पत्ति एक तमिल शब्द ‘सल्ली कासू’ से हुई है जिसका मतलब होता है ‘सिक्कों की पोटली ।’ इस पर्व के दौरान सिक्कों कि पोटली को सांड की सींगों के ऊपर बांधा जाता है जो इस प्रतियोगिता का इनाम होता है।

•ये इनाम उसे मिलता है जो अधिक समय तक सांड को काबू कर पाता है।

•खेल को तीन भागों में खेल जाता है: वदी मनुवीरत्तु, वायली विरन्तु और वदम मंजुवीरत्तु ।

• यह फसल कटने के समय तमिल त्योहार पोंगल के दौरान जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है।

तमिल संस्कृति में जलीकट्टू का महत्त्व

•जल्लीकट्टू को राज्य के किसान अपने लिये अपनी शुद्ध नस्ल के सांडों को संरक्षित करने का एक पारंपरिक तरीका मानते हैं।

•जल्लीकट्टू के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले लोकप्रिय देशी मवेशी नस्लों में कंगायम, पुलिकुलम, उमबलाचेरी, बारगुर और मलाई मडु आदि शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर इन उन्नत नस्लों के मवेशियों को पालना सम्मान की बात मानी जाती है।

विवाद के बिंदु

• पशु अधिकार संस्थाओं का मानना है कि इस खेल में पशुओं के साथ क्रूरता होती है अतः इसे बैन कर देना चाहिए।

• सुप्रीम कोर्ट ने भी 2014 में इस खेल के आयोजन पर रोक लगा दी थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानून बनाकर इस रोक को हटाया।

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