Tourist Places of Himachal Pradesh

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हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सौंदर्य तथा दर्शनीय स्थलों का संक्षिप्त विवरण

हिमालय की गोद में बसा “हिमाचल प्रदेश” भारत का एक छोटा सा प्रान्त है, परन्तु इसे प्रकृति ने असीम सुन्दरता प्रदान की है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के कारण “हिमाचल प्रदेश” भारत का ‘स्विट्जरलैण्ड’ कहलाता है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन मानचित्र पर ‘देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं-

1.शिमला : शिमला हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी है। इसे ‘पहाड़ियों की रानी’ (Queen of the hills) के नाम से भी जाना जाता है। शिमला वर्ष 1864 से 1911 तक भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। शिमला में वार्नेस कोर्ट, गर्डन कैलस, वाइस रीगल लॉज, कैनेडी हाउस, नाहलदेरा पिकनिक रिजोर्ट आदि अनेक अत्यंत दर्शनीय स्थल हैं। शिमला से 2 किमी दूर जाखू पहाड़ी पर प्रसिद्ध ‘हनुमान मंदिर‘ है। समरहिल में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा प्रोस्पेक्ट हिल में ‘कामना देवी‘ का मंदिर है। शिमला में इंदिरा गाँधी खेल परिसर, स्टेट म्यूजियम तथा रिज पर क्राइस्ट चर्च है। चैडविक झरना भी एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसके साथ ही ग्लेन नामक स्थल भी है जिसके आस-पास बहता झरना और सदाबहार वन बहुत ही आकर्षक हैं। शिमला से 13 किमी मशोबरा में उत्तरी भारत का सबसे बड़ा ‘फल अनुसंधान केन्द्र’ है, जो अपने घने जंगलों एवं मनोहारी दृश्यों के लिये प्रसिद्ध है।

Tourist Places of Himachal Pradesh
Tourist Places of Himachal Pradesh

2.धर्मशाला : कांगड़ा जिले का मुख्यालय धर्मशाला मुख्य नगर कांगड़ा से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से 4,500 फीट की ऊँचाई पर बसा यह नगर जलवायु की दृष्टि से बहुत स्वास्थ्यप्रद है। वर्ष 1960 में धर्मशाला को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा का अस्थायी मुख्यालय बनाया गया, तब से धर्मशाला बौद्धों की अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों का केन्द्र बना हुआ है तथा इसे ‘छोटा ल्हासा’ के नाम से भी जाना जाता है। धर्मशाला में बौद्धों के बड़े-बड़े गुप्पा (मन्दिर) स्थापित किये गये हैं। सेन्ट जॉन चर्च नामक प्रसिद्ध चर्च तथा ‘वॉर मेमोरियल’ भी यहाँ अवस्थित है। सन्दीयनी हिमालय (चिन्मया तपोवन) धर्मशाला में ही अवस्थित है।

3.भागसुनाथ : कांगड़ा जिले में अवस्थित “भागगसुनाथ” समुद्र तल से 1,770 मीटर की ऊँचाई पर बसा एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ अवस्थित भागसुनाथ मंदिर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है और स्थानीय लोग मंदिर में अवस्थित मूर्ति की काफी प्रशंसा करते हैं कि मंदिर में महान उपचार शक्तियाँ हैं। भागसुनाथ मंदिर मैकडोलगंज से 3 कि.मी. पूर्व में एक मध्यकालीन मंदिर है। भागसु जलप्रपात मंदिर से 0.5 किमी पर स्थित प्रकृति के करीब एक मनोरम स्थल है।

4.कांगड़ा: कांगड़ा जिले का नाम कांगड़ा शहर से है, जिसे प्राचीन समय में नगरकोट” के रूप में जाना जाता था। कांगड़ा मूल रूप से प्राचीन त्रिगर्त’ (जालंधर) का एक हिस्सा था, जिसमें ‘शातादरू’ (सतलुज) और रावी के बीच वाला क्षेत्र शामिल था। त्रिगर्त के दो प्रान्त थे, एक जालंधर में मुख्यालय के साथ मैदान में और अन्य नगरों के मुख्यालय पहाड़ियों में (वर्तमान कांगड़ा) थे। धौलाधार श्रेणी की गोद में बसा कांगड़ा के एक ओर धर्मशाला में बौद्धधर्म का केन्द्र है और दूसरी ओर हिन्दुओं के अनेक मंदिर यथा बैजनाथ मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर, ज्वालामुखी मंदिर तथा चामुण्डा देवी का मंदिर आदि स्थित हैं।

5.कुफरी : शिमला से 16 किमी दूर स्थित कुफरी अपने स्की मार्गों और केन्द्रीय आलू अनुसंधान” संस्थान के कारण भारत के पर्यटन मानचित्र पर पहले ही स्थान बना चुका है। कुफरी में लॉर्ड कर्जन का सप्ताहान्त आवास स्थित था, जिसे ‘रिट्रीट’ के नाम से जाना जाता था। भारत के ब्रिटिश सेनापति लॉर्ड किचनर का आवास ‘वाइल्ड फ्लावर हॉल’ भी यहीं स्थित है। वाइल्ड फ्लॉवर हॉल और रिट्रीट के बीच ‘हेम कुंज’ (पुराना नाम डेंस फॉली) अवस्थित है जो पंजाब के गवर्नर का ग्रीष्मकालीन विश्रामगृह था।

6.डलहौजी: डलहौजी शिमला का एक पहाड़ी नगर है। इस शहर की स्थापना का श्रेय “वायसराय लॉर्ड डलहौजी” को जाता है। डलहौजी धौलाधार पहाड़ी श्रृंखला के बाह्य भाग में स्थित है। यह पर्यटक स्थल बाकरौटा, कथलौंग, वालू, तेहरा और पांतरेन नामक पहाड़ियों पर स्थित है। डलहौजी का बाकरौटा बाजार अति सुन्दर और बड़ा है। यहाँ अवस्थित ‘तेहरामल मैदान’ लगभग डेढ़ मील लम्बा है।

7.खज्जियार : दिल्ली से 508 किमी की दूरी पर चम्बा जिले में स्थित खज्जियार दुनिया के 160 मिनी स्विट्जरलैण्ड में से एक माना जाता है। स्विस राजदूत ने यहाँ की खूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई, 1992 को खज्जियार को हिमाचल प्रदेश का मिनी स्विट्जरलैण्ड’ की उपाधि दी थी। खज्जियार का आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढके “खज्जियार झील” से है। वैसे तो खज्जियार में तरह-तरह के रोमांचक खेलों का भी आयोजन किया जाता है, लेकिन अगर आप गोल्फ के शौकीन हैं तो यह हिल स्टेशन और भी बेहतर है।खज्जियार को ‘गोल्फ के शौकीनों का ‘स्वर्ग’ कहा जाता है। यहाँ लवकड़ मंडी नामक स्थान पर एक नाले में बारहों महीने बर्फ जमी रहती है।

8.रिवालसर : मंडी से 23 किमी दूर मंडी जिले में अवस्थित रिवालसर झील को त्सो लोट्स लेक” भी कहते हैं। चौकोर आकार की यह झील समुद्र तल से 1,360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील में कमल के पौधों से लगे टिब्बे स्वतः पानी में आर-पार तैरते रहते हैं। रिवालसर हिमाचल प्रदेश का एकमात्र ऐसा धार्मिक स्थल है जो हिन्दुओं, बौद्धों और सिखों के लिये समान रूप से महत्वपूर्ण है। यह स्थल हिन्दुओं के प्रमुख ऋषि लोमस, बौद्धों के आचार्य पद्मसंभव (जन्मस्थली) तथा सिखों के गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह से अभिन्न रूप से जुड़ा है। गुरु गोबिन्द सिंह यहाँ एक माह ठहरे थे। बैसाखी के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है। तिब्बतियों का विश्वास है कि तिब्बत में बौद्ध धर्म के संस्थापक पद्मसंभव और उनकी पत्नी तारा की आत्माएँ रिवालसर झील में तैरती हैं। रिवालसर झील के समीप ही अन्य दूसरी पवित्र झील ‘कुण्ट योग’ स्थित है जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 1,750 मीटर है। उल्लेखनीय है कि ‘कुण्ट झील’ का संबंध पाण्डवों से रहा है।

9.मनाली : मनाली हिमाचल प्रदेश राज्य में समुद्र तल से 1,950 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मनाली कुल्लू जिले का एक हिस्सा है जो शिमला से 250 किमी की दूरी पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली का नाम ‘मनु’ से उत्पन्न हुआ है जिन्हें सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने बनाया था। ऐसी मान्यता है कि मनु इसी जगह पर जीवन के सात चक्रों में बने और मिटे थे। मनाली की हिन्दू धर्म में काफी मान्यता है, जिसे जीवन के 7 चक्रों रिवर्स सेज से संबंधित माना जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू को मनाली विशेष प्रिय था। यहाँ आने पर पर्यटक यहाँ के सुन्दर दृश्यों “हिमालयन नेशनल पार्क, हिडिम्बा मंदिर, सोलांग घाटी, रोहतांग पास, पंडोह बाँध, पंद्रकनी पास, रघुनाथ मंदिर और जगन्नाथी देवी मंदिर” देख सकते हैं।

10.बिलासपुर : बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 90 किमी दूर 1,167 वर्ग किमी क्षेत्र में स्थित है। सतलुज नदी के किनारे बसे इस नगर को राजा वीरचन्द ने वर्ष 1663 में बसाया था। उन्होंने महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास की स्मृति में इस नगर को बसाया था और इसका मूल नाम “व्यासपुर” ही रखा था जो बिगड़कर बिलासपुर’ बन गया। मान्यता है कि वेदव्यास ने इस स्थान के पास एक गुफा में तपस्या की थी। मार्कडेय ऋषि का आश्रम भी यहाँ से चार मील दूर है| यहाँ के धार्मिक दर्शनीय स्थलों में लक्ष्मी नारायण का मंदिर, व्यास गुफा और राधेश्याम का मंदिर आदि प्रसिद्ध हैं। यहाँ का प्रमुख दर्शनीय स्थल ‘गोबिन्द सागर झील’ है।

11.मंडी : इस पर्यटक स्थल का नाम “माण्डव्य ऋषि” के नाम पर मंडी पड़ गया। यह नगर व्यास नदी के दोनों तरफ अर्थात दोनों किनारों पर बसा हुआ है। यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पर्यटक स्थल है, जो दर्शनीय है।

12.मशोबरा : मशोबरा शिमला से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा “फल अनुसंधान केन्द्र” है। मशोबरा का सिप्पी मेला पूरे प्रदेश में विख्यात है।

13.रेणुका : सिरमौर जिले में नाहन से 40 किमी दूर स्थित रेणुका’ का नाम महर्षि परशुराम की माता ‘रेणुका’ के नाम पर रखा गया है। यहाँ अवस्थित “रेणुका झील” का आकार ‘सोया हुई नारी के समान’ है। पुराणों के अनुसार, यह स्थान प्राचीन काल में परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि का आश्रम था तथा अपने पिता की आज्ञा से परशुराम ने इसी स्थान पर अपनी माता का वध किया था। उसके बाद ही इस झील का निर्माण हुआ था और उसी समय से यह पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है। इस झील की समुद्र तल से ऊँचाई 672 मीटर है। माघ मास में यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

14.रामपुर : शिमला से 140 किमी दूर रामपुर सतलुज नदी के बायें तट पर अवस्थित है। रामपुर उत्तरी भारत के सबसे बड़े मेले लवी“के लिये भारत ही नहीं विश्व भर में विख्यात है।

15.शांश : यह स्थल गेपान मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। गेपान को लाहौल क्षेत्र का सर्वाधिक शक्तिशाली देवता माना जाता है।

16. नाको:किन्नौर” जिले में समुद्रतट से 3,663 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित नाको पांगियाल के विशाल पहाड़ों की पश्चिमी दिशा में हंगरांग घाटी से 3 किमी ऊपर स्थित है और कल्पा से 119 किमी की दूरी पर है। यहाँ स्थित नाको झील का अस्तित्व गाँव में सौंदर्य जोड़ता है। रिकांग यक्ष, कीन, घोड़ों और गदहों की आबादी यहाँ अधिक है। स्थानीय गाँव देवता ‘देवदाम’ है और यहाँ एक अन्य लैगांग मंदिर है जिसमें कई मूर्तियाँ मौजूद हैं। यहाँ एक बौद्ध मंदिर है और एक चट्टान को संत पद्मसंभव का प्रतीक माना जाता है। यह पैरागिल शिखर के लिए आधार है और मार्ग पर थेशिगांग मठ है।

17.मटन सिद्धू : हमीरपुर से 6 किमी की दूरी पर स्थित हमीरपुर शिमला रोड पर यह मंदिर अवस्थित है तथा “हनुमान जी” के भक्तों की श्रद्धा का अतिसुन्दर स्थान है।

18.नादौन : नादौन व्यास नदी के बाएँ किनारे पर स्थित एक ऐतिहासिक एवं दर्शनीय शहर है। इस शहर का “कांगड़ा” के कटोच राज घराने के साथ भी गहरा संबंध रहा है। शहर से 2 किमी की दूरी पर ऐतिहासिक महल है। नादौन से सुजानपुर मार्ग पर लगभग 7 किमी की दूरी पर पाण्डवों द्वारा निर्मित “बिल्कालेश्वर महादेव” का मंदिर अवस्थित है।

19.दियोट सिद्ध : दियोट सिद्ध में “सिद्ध बाबा बालकनाथ” का एक हिन्दू देव स्थान है। हमीरपुर से 45 किमी की दूरी पर हमीरपुर और बिलासपुर जिला की सीमा पर चकमोह गाँव में “दियोटसिद्ध” नामक क्षेत्र स्थित है। यहाँ धौलागिरी पर्वत की पहाड़ियों पर एक प्राकृतिक गुफा में बाबा जी की प्रतिमा स्थापित है|

20.हमीरपुर: हमीरपुर एक बहुत ही सुन्दर, सुरम्य एवं शांत पहाड़ी शहर है। राजा “हमीरचन्द” के नाम पर स्थापित इस शहर का एक गौरवमयी इतिहास रहा है। विगत कुछ वर्षों में यह प्रदेश में शिक्षा के अग्रणी स्थानों में शामिल हुआ है|

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