Most Beautiful Famous Valleys of Himachal Pradesh In Hindi

दोस्तों आपका हमारी वेबसाईट में स्वागत है| आज हमने अपने इस आर्टिकल में हिमाचल प्रदेश की सभी खूबसूरत घाटियों के बारे में जानकारी साझा की है| यह जानकारी आपके आने वाली हिमाचल प्रदेश की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है|

हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध घाटियां

– घाटियों का निर्माण ऊंचे पहाड़ों की तराई में सहज ही हो जाता है| 

– हिमाचल प्रदेश में अनेक मनोरम एवं उपजाऊ घटिया है, जहां इस प्रदेश के अधिकांश लोग निवास करते हैं| हिमाचल प्रदेश में विभिन्न नदियों द्वारा निर्मित अनेक छोटे तथा बड़ी घटियां विद्यमान है| हिमाचल प्रदेश में घाटियों की सामान्य लंबाई 8 से 16 किलो मीटर तथा चौड़ाई 1 से 3 किलोमीटर के मध्य है|

हिमाचल प्रदेश की घाटियों को निम्नलिखित दो भागों में बांटा गया है-

A. दून घाटियाँ – कियारदा दुन घाटी, जसवां दून घाटी आदि| 

B. नदियों या हिमानी से निर्मित घाटियाँ – पब्बर घाटी (शिमला), कुल्लू घाटी, पिन घाटी, चौराहा घाटी (चंबा) चंद्रभागा घाटी, सप्रन घाटी सोलन, रावि घाटी, पांगी घाटी (चंबा) सांगल या बसपा घाटी (किन्नौर), कांगड़ा घाटी इमला विमला घाटी (करसोग), बल्ह घाटी आदि|

हिमाचल प्रदेश में अवस्थित घाटियों का जिलावार विवरण निम्नलिखित है:-

1.चंबा जिले की घाटियाँ 

-रावी तथा चंबा घाटी पर्याप्त रूप से खुली है| 

– इस घाटी में 1,000 मीटर अथवा उससे कम ऊँचाई कि ढलानों पर अर्द्ध उष्णकटिबंधीय वनस्पति पाई जाती है| घाटी में ढलानों पर खेत प्राय: छोटे और सिड़ीनुमा है, जिनकी निचली सीमा प्राय पत्थर के डंगोसे बनी होती है, ताकि खेत समतल हो जाए और उनमें हल चलाया जा सके| रावी की घाटी के निचले भागों में जहां ऊंचाई 2500 मीटर से कम है, वर्ष में दो फसलें तैयार हो जाती है| धान यहाँ की मुख्य फसल है|

2500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित स्थानों पर प्राय: वर्ष में एक ही फसल मिल पाती है|

चंबा जिला का मुख्यालय चंबा शहर है, जो कि एक समतल, चौड़े भू-खंड पर स्थित है, और शहर के बीचो-बीच रावी नदी बहती है| चंबा घाटी के अन्य प्रसिद्ध कस्बे भरमौर तथा डलहौजी है, तथा प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजियार है| जिसे मिनी स्विजरलैंड के नाम से भी जाना जाता है| चंबा घाटी के निवासियों को ‘चम्ब्याल’ कहा जाता है|

– चंबा या रावी घाटी में बदल घाटी, भैरव घाटी, चंबा, भटयात, चुराह, भरमौर एवं पांगी आती है| पांगी घाटी में सूरल घाटी, हूंडण घाटी एवं सैचू आदि घाटियाँ आती है|

2.कांगड़ा जिला की घाटियां

– हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में कांगड़ा घाटी, पालमपुर, थुरल, आलमपुर, देहरा, इंदौरा, नूरपुर, बैजनाथ, जसवां, बड़ा भंगाल, छोटा भंगाल, चढ़ीयाल तथा पचरुखी की घटिया अवस्थित है| कम ऊंचाई की घाटियों में हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी सर्वाधिक सुंदर है| कांगड़ा घाटी पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है और शाहपुर से बैजनाथ और पालमपुर तक धीरे-धीरे ऊपर उठती है|

– कांगड़ा घाटी के किसी भी कोने से धौलाधार श्रृंखला ‘बर्फ की दीवार’ की तरह दिखाई पड़ती है|

– कांगड़ा घाटी में ‘कांगड़ा-चित्रकला’ अति प्रसिद्ध है| इस चित्रकला के रंगों में मानवीय प्रेम को अत्याधिक कोमलता के साथ अंकित किया गया है| कांगड़ा घाटी में पूर्व-पाषाण काल में औजार मिले है, जिससे यह अनुमान जाता है कि कभी यहाँ हिममानव का निवास था| 

– प्रसिद्ध लेखक एम्.एस.रंधावा के अपनी पुस्तक ‘पश्चिमी हिमालय में मेरी यात्राएँ’ में कांगड़ा घाटी का बड़ा ही मनोरम चित्रण प्रस्तुत किया है| 

Most Beautiful Famous Valleys of Himachal Pradesh In Hindi

3.कुल्लू जिले की घाटियाँ 

कुल्लू जिले की घाटियाँ में सैंज, तीर्थन, कुरपार, पतली-कुहल, मनाली, नग्गर, बंजार, कुल्लू पार्वती, जूरी और मलाणा की मनोरम घाटियाँ अवस्थित है| कुल्लू घाटी देवदार और चिड़ के घने वनों से ढके पर्वतों और दूर-दूर तक फैले ‘सेब के बगीचों’ के कारण अति प्रसिद्ध है| 

पार्वती घाटी में मणिकर्ण के गर्म पानी के चश्मे है|

4.लाहौल-स्पीती जिले की घाटियाँ 

– लाहौल-स्पीती जिले में अवस्थित घाटियों में चंद्रभागा घाटी जिसे ‘गंगोई’ या ‘पट्टन’ भी पुकारा जाता है, लिंगटी, स्पीती घाटी तथा पिन घाटी प्रमुख है| लाहौल-स्पीती की घाटियाँ 3,000 मीटर से 6,500 मीटर ऊँचे पहाड़ों के बीच अवस्थित है| यहाँ पर सर्दियों में होने वाले भारी हिमपात के कारण लोग प्राय: घरों में बंद हो जाते है, और प्रदेश के अन्य भागों से कट जाते है| 

-लाहौल, चंद्रा और भागा नदियों के मिलन स्थल टांडा के उतर में स्थित है तथा इन दोनों नदियों की धाराओं के मिलन से चिनाव नदी निकलती है| स्पीती घाटी कुल्लू से दूर उतर-पूर्व में स्थित है तथा लद्दाख, तिब्बत और किन्नौर से तीन ओर से घिरी है| 

5. मंडी जिले की घाटियाँ 

– मंडी जिले में अवस्थित घाटियों में बल्ह घाटी तथा देमी घाटी प्रमुख है| 

– बल्ह मंडी जिले में 800 मीटर का औसत ऊँचाई पर अवस्थित है| 

– बल्ह घाटी उतर में गुटकेर से दक्षिण में सुंदरनगर तक तथा पूर्व बग्गी से पश्चिम में गलमा तक फैली हुई है| बल्ह घाटी के बीचों-बीच साकेती नाला बहता है, जो बहुत उपयोगी है| 

– वर्ष 1962 में बल्ह घाटी में “भारतीय-जर्मन परियोजना” चलाई गई जिसमें मिश्रित खेती पर बल दिया गया| खाद तैयार करना और करना और भू-सरंक्षण भी इस योजना के अहम अंग थे| 

– 800 मीटर की औसत ऊँचाई पर अवस्थित देमी घाटी 10 कि.मी. लंबी तथा 5 कि.मी. चौड़ी है| देमी घाटी की उपजाऊ मिट्टी में मकई, गन्ना, जौ,अदरक तथा गेहूं की खेती की जाती है| 

6. सोलन जिले की घाटियाँ 

– सोलन जिले की प्रमुख घाटियों में कुनिहार घाटी तथा दून और सप्रन घाटी प्रमुख है| 

– शिमला से लगभग 50 कि.मी. दूर सोलन जिले में 1,000 मीटर की औसत ऊँचाई पर कुनिहार घाटी अवस्थित है| कुनिहार घाटी कुनी खड्ड से आरंभ होकर टुकड़िया गाँव तक विस्तृत है| 

– कुनिहार घाटी कप के आकार का क्षेत्र है जिसके चारों ओर कम पहाड़ है तथा एक ओर सोलन किले की कंडाघाट तहसील है| उल्लेखनीय है कि कुनिहार घाटी ‘कुनिहार राज्य’ है जो काफी उपजाऊ है| सोलन जिले की दून और सप्रन घाटी प्राय: मैदानी और उपजाऊ है| उल्लेखनीय है की इस घाटी में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन वृहद पैमाने पर किया जाता है| 

7. बिलासपुर जिले की घाटियाँ 

– बिलासपुर जिले की प्रमुख घाटियों में दावी, सीर खड्ड, डैहर, चौंतड़ा, जोगिन्द्र नगर, चूहार, सैंज, बदोर, पंडोह, हरली, पांगना, काहनवाल तथा उहल की छोटी-बड़ी घाटियाँ प्रमुख है| 

8. हमीरपुर जिले की घाटियाँ 

– हमीरपुर जिले में नदौन, मेवाम घोड़ी -धबीरी, धंगोटी तथा धनेटा की समतल घाटियाँ अवस्थित है| 

9. शिमला जिले की घाटियाँ 

– शिमला जिले में रोहडू अथवा पब्बर घाटी अवस्थित है| रोहडू (पब्बरम, स्पैल, रणसर, नवार, मंडलगढ़, रोहाल आदि) या पब्बर घाटी में वह क्षेत्र आता है जो की चंसल की हिम श्रृंखला से निकलने वाली पब्बर नदी तथा उसकी सहायक नदी तथा उसकी सहायक नदियों में मध्य स्थित है| 

पब्बर घाटी” हाटकोटी से प्रारम्भ होकर ‘चंसल की तलहटी में स्थित ‘टिकरी‘ है| 

– “पब्बर घाटी” ऊँचाई से देखने से देखने पर एक ‘बेडौल प्याली‘ जैसी दिखती है, जिसका पेंदा छोटा-सा है| 

– “पब्बर घाटी” के किनारों का निर्माण, ‘पश्चिमी हिमालय‘ की महान मध्यवर्ती श्रृंखला करती है| दो अन्य चोटियाँ इसकी ‘दक्षिणी-पूर्वी सीमा’ का निर्माण करती है| 

‘पब्बर घाटी’ के साथ-साथ अनेक, (छोटी-छोटी) ढलानें और घाटियाँ है| जहाँ खेती की जाती है| 

– “पब्बर घाटी में ‘पब्बर नदी‘ प्रवाहित होती है,और दक्षिण-पूर्वी किनारे की तंग-सी दरार से बाहर निकल जाती है| ‘पब्बर घाटी’ में पब्बर और उसकी सहायक नदी ‘अंधरा खड्ड, प्जौर और शिकरी नालों’ के अतिरिक्त नालो के अतिरिक्त जो भी जलधाराओं बहती है, वे अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, क्यूंकि उनमें अधिक जल नहीं रहता| ‘पब्बर घाटी’ गर्मियों के मौसम में गर्म होती है,और स्थानीय रूप से ‘पोटू’ नामक कीड़े का प्रकोप यहाँ होता है, जिससे “कष्टदायक सोजिश होती है| उल्लेखनीय है कि ‘पोटू कीड़े का प्रकोप पब्बर घाटी‘ तक ही सिमित है| 

– वर्ष 1948-39 में पंजाब के ब्रिटिश वन सरंक्षक ग्लोवर ने पब्बर तथा आंध्रा नाले में गशवानी गाँव के निकट ‘ट्राउट मछली’ पालनी प्रारम्भ की थी| 

– शिमला जिले में अवस्थित अन्य घाटियों में कोटखाई, मंदों, म्ल्याणा, बड़ाग्रा, रामपुर, कोटगढ़,सोनी,धामी आदि प्रमुख है| 

10.किन्नौर जिले की घाटियाँ 

किन्नौर जिले बसपा जिसका प्रसिद्ध नाम सांग्ल है| प्रसिद्ध घाटी है| इसके अतिरिक्त इस में हंग-रंग, पुह के पास, रोपा या शंभनाग अन्य प्रसिद्ध घाटियाँ है| 

– किन्नौर जिला में अवस्थित बस्पा अथवा सांगला घाटी सर्वाधिक एवं सुगन्धित घाटी है| 

– बस्पा घाटी में बस्पा नदी जहाँ पर सतलुज से मिलती है,वहाँ पर घाटी का तल 1,830 मीटर ऊँचा है और यह सबसे ऊँचे गाँव चिट्कुल तक 3,475 मीटर तक पहुंच जाता है| 

– बस्पा घाटी में बस्पा नदी में लगभग 95 कि.मी. तक प्रवाहित होती है| बस्पा नदी के शीर्ष पर चुंग श्खागो दर्रा अवस्थित है| बस्पा घाटी में सबसे निचा स्थान 1,830 मीटर निचा है, जहाँ सतलुज से बस्पा नदी मिलती है| बस्पा घाटी की जलवायु शमशीतोष्ण है, जबकि उपरी पहाड़ ढके रहते है और वहाँ वर्ष भर में मात्र एक ही फसल प्राप्त की जा सकती है| 

– रकछम, छितकुल आदि बस्पा (सांग्ल) घाटी में अवस्थित बड़े गाँव है| 

11.सिरमौर जिले की घाटियाँ 

– सिरमौर जिले में स्थित घाटियों में पौंटा अथवा कियारदा दून घाटी प्रमुख है| 

पौंटा (किरयादा दून घाटी) को यमुना नदी देहरादून से पृथक करती है|  

– पौंटा (किरयादा), दून घाटी मारकंडा की पूर्वी सीमा और धारती श्रृंखलाओं के बीच स्थित है|

पौंटा (किरयादा), दून घाटी को निम्नलिखित ‘तीन खंडों’ में विभाजित किया जाता है :-

1.दून, जो कि यमुना और चोला पर्वतों की धारती श्रंखला की बिच स्थित है तथा जिसे आंशिक रूप से बाटा और गिरी नदियाँ सिंचित है| 

2.इस क्षेत्र में नेली खेड़ा और उससे लगते बाटा नदी के उतर में स्थित निचली धारती के पहाड़ ,जमुना खाला के पूर्वी क्षेत्र, गरीब नाला के पश्चिम के क्षेत्र और राजबन के इलाके के सम्मिलित किये जाते है जो की मैदानी माने जाते है| 

3.पार दून का इलाका जो की पर्वतों से घिरा है और माजरा गाँव के निकट अवस्थित है| यह एक प्राकृतिक किले की तरह है, जहाँ सिर्फ एक ही सडक मार्ग से जाया जा सकता है| यह इलाका आजकल सुनसान और बंजर है| कभी वहाँ खेती होती थी जिनके चिन्ह आज नही मौजूद है| 

– किरयादा दून घाटी एक समय जंगलों से भरी थी जिसमें शेर और हाथी रहते थे परन्तु राजा शमशेर प्रकाश ने लोगों की यहाँ बसाया| किरयादा दून घाटी अत्यधिक उपजाऊ है क्योंकि गिरी और बाटा नदी इसे सींचते है| पौंटा साहिब कियारदा दून घाटी का प्रसिद्ध कस्बा है, जिसे औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है|

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top