madhya pradesh geography notes in hindi

हेलो दोस्तों केसे हो आप सब आशा करता हूँ की आप सब बढिया होंगे मै भी बढिया हूँ| आज हम आपके लिए एक  इंटरेस्टिंग पोस्ट लेकर आये है| आज हमने अपने इस आर्टिकल में madhya pradesh geography notes in hindi के बारे विस्तारपूर्वक वर्णन किया है| जो आपके सामान्य ज्ञान तथा आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से काफी जरूरी है|

geography of madhya pradesh in hindi

भौगोलिक दृष्टि से मध्य प्रदेश, देश का दूसरा बड़ा राज्य है और यह देश के कुल भाग के लगभग 9.38 प्रतिशत क्षेत्रफल अर्थात 307.56 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है| राज्य को भरपूर वन संपदा वन मिली है, जबकि सकल भगौलिक क्षेत्रफल के लगभग 25.21 प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन है|

मध्य प्रदेश में 11 कृषि जलवायु क्षेत्र और 5 फसल क्षेत्र है| यह राज्य इसके घने एवं विस्तृत वन संसाधनों के लिए भी प्रसिद्ध है|

madhya pradesh geography notes in hindi
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वन संपदा के 3 मुख्य भाग हैं: सागौन वन, साल वन एवं अन्य विविध वन| बांस आच्छदित क्षेत्र भी राज्य में दूर-दूर तक फैला हुआ है| तांबा अयस्क, मैगजीन अयस्क  चुना पत्थर कोयला एवं लौह अयस्क मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण खनिजों में सम्मिलित होते हैं| इसके अतिरिक्त एल्यूमीनियम अयस्क भी राज्य में पाया जाता है| मध्यप्रदेश का लौह अयस्क उच्च श्रेणी का माना जाता है और पन्ना क्षेत्र विश्व स्तर पर हीरा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है|

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मध्यप्रदेश का धरातल समतल पहाड़ी एवं विभिन्न ऊंचाइयों की भूमि घाटियों एवं जल क्षेत्रों से भरा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से इसको गढ़ क्षेत्र, मालवा पठार, सतपुड़ा रेंज, नर्मदा घाटी एवं छत्तीसगढ़ के मैदानों में विभाजित किया जाता है| राज्य में सतपुड़ा विध्यांचल एवं मैकाल का मुख्य प्रबंधक श्रेणियां है| राज्य के केंद्रीय भाग से गुजरती हुई नर्मदा नदी राज्य की जीवन रेखा मानी जाती है| अन्य मुख्य बारहमासी नदियों में माही चंबल, काली सिंध, बेतवा, सोन, केन,पेंच और ताप्ती नदियां सम्मिलित है|

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मध्य प्रदेश की वर्तमान भौगोलिक स्थिति 21˚6’ उत्तरी अक्षांश से 26˚3’ उत्तरी अक्षांश तथा 74˚9′ पूर्वी देशांतर से 82˚48′ पूर्वी देशांतर के मध्य में है। प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 3,08,244 वर्ग कि.मी. है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 9.38 प्रतिशत है।

 

इसका पूर्व से पश्चिम विस्तार 870 कि.मी. तथा उत्तर से दक्षिण 60 कि.मी. है। प्रदेश की उत्तरी सीमा चम्बल नदी तथा दक्षिणी सीमा ताप्ती नदी बनाती है। पश्चिमी तथा पूर्वी सीमाए क्रमश: गुजरात एव मैकाल- कमर की श्रेणियों द्वारा निर्धारित की जाती है। कर्क रेखा नर्मदा नदी के समानान्तर प्रदेश को दो बराबर भागों में बांटते हुए 14 जिलो से गुजरती है। मध्य प्रदेश की सीमा 5 राज्यों के साथ मिलती है।

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मध्य प्रदेश राज्य के सीमावर्ती जिले

 

क्र.सं.

सीमावर्ती राज्य 

सीमावर्ती जिले (मध्य प्रदेश)

उतर प्रदेश 

सिंगरौली, सागर, गुना, दतिया, शिवपुरी, सीधी, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, भिंड, टीकमगढ़, निवाड़ी|

राजस्थान 

मुरैना, शिवपुरी, गुना, राजगढ़ ,आगर मालवा नीमच, मंदसौर, रतलाम झाबुआ, श्योपुर|

महाराष्ट्र 

खरगोन, बड़वानी, बैतूल, खंडवा, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट|

छतीसगढ़ 

 सीधी, शहडोल, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी|

गुजरात 

 झाबुआ,अलीराजपुर|

 

मध्य प्रदेश की भू-वैज्ञानिक संरचना

मध्य प्रदेश सरंचना की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार का भाग है| मध्यप्रदेश का अधिकांश भाग प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा होने के कारण यहां विभिन्न कार्यों से भूवैज्ञानिक संरचना देखने को मिलती है| प्रदेश में निम्न कालों की भू-वैज्ञानिक संजना पाई जाती है

                                     भू-वैज्ञानिक संरचना  



क्र.सं.

युग 

साक्ष्य 

विशेषता 

आद्य महाकल्प 

बुन्देलखण्ड का गुलाबी ग्रेनाईट,नीस, सिल , डाईक|

पृथ्वी की प्रथम कठोर चट्टानें जिनमें जीव आश्रम के अवशेष नहीं मिले|

निर्माण तरल लावा के ठंडे तथा पिछले क्षेत्र में निक्षेपण से|

2

धारवाड़ समूह

बालाघाट की चिल्पी श्रेणी, छिंदवाड़ा की सौंसर श्रेणी, बुंदेलखंड की बिजावर श्रेणी|

निर्माण आद्य महाकल्प की चट्टानों के अपरदन से  निकले पदार्थों द्वारा|

 चट्टानें  फाईलाइट शिष्ठ तथा स्लेट के रूप में प्राप्त|

3

पूरण संघ 

पन्ना ग्वालियर की बिजावर श्रेणीकैमूर, भांडेर, रीवा श्रेणी|

पुरान संघ का विभाज-1 कुडप्पा, 2- विन्ध्यन शैल समूह कुडप्पा चट्टानों पर अंतभौतिक दिशाओं का प्रभाव नही|

4

आर्य समूह 

सतपुड़ा एवं बघेलखंड में विस्तृत कोयला घाटी|

आरंभिक कार्बनिफेरस से नूतन युग की चट्टानें शामिल है| इस शैल समूह से गोडवाना शैल समूह का निर्माण हुआ जिसके तीन भाग हैं-लोअर गोंडवाना, मध्य गोंडवाना, अपर गोंडवाना समूह

5

क्रीटेशस कल्प 

बाघ, लमेटा, मालवा पठार के ज्वालामुखी संस्तर|

नर्मदा घाटी में नदी तथा एस्टुअरी के विक्षेपण से बने शैल प्राप्त चट्टानों में जीवाशवों के अवशेष मिलते हैं|

 

 madhya pradesh भौतिक प्रदेश 

एस.पी. चटर्जी ने  मध्य प्रदेश को धरातल की विविधता के आधार पर निम्न दो वृहत भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया है-

1 मध्य उच्च प्रदेश 

2 प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश ( (i) सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां  ,  (ii) बघेलखंड पठार)

 

1 मध्य उच्च प्रदेश

मध्य उच्च प्रदेश एक त्रिभुज आकार पठारी प्रदेश है जोकि दक्षिण में नर्मदा सोन घाटी, पूर्व में कैमूर के कगार एवं पश्चिम में अरावली श्रेणियों से घिरा है| इन धरातलीय विशेषताओं के आधार पर इस प्रदेश को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है:  

 

मालवा का पठार 

मध्य प्रदेश के मध्य पश्चिमी भाग को मालवा पठार के नाम से जाना जाता है इस पठार का विस्तार गुना, राजगढ़, भोपाल, रायसेन, सागर, विदिशा, शाजापुर, आगर-मालवा, देवास, इंदौर, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मदसौर, झाबुआ, एवं धार जिलों में है

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इसकी भगौलिक स्थिति 20˚17’ उतरी अक्षांस से 25˚8’ उतरी अक्षांस तथा 74˚20’ पूर्वी देशांतर के मध्य है| कर्क रेखा इसे दो बराबर भागों में विभाजित करती है| इस पठार पर क्रिटेशियस काल के दरारी ज्वालामुखी उदभेन के साक्ष्य मिटले है| समुद्रतल में मालवा की औसत ऊँचाई 500 मीटर है, परन्तु इस पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार 881 मीटर है|

 

इस प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबन्धीय मानसूनी है तथा इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ क्षिप्रा, बेतवा, सोनार व् चम्बल है| काली मिटटी की प्रमुखता के कारण इस क्षेत्र की मुख्य फसल गेंहू एवं कपास है| यह राज्य के अधिकतर लोग कृषि एवं पशुपालन करते है| यह राज्य का प्रमुख अद्यौयोगिक क्षेत्र है| मालवा पठार के प्रमुख नगर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर, रतलाम, देवास, विदिशा, धार है

 

क्षेत्रफल – 88222.2 वर्ग कि.मी. (मध्य प्रदेश का 28.62 प्रतिशत)

जिले – 18 जिलो का पूर्ण/आंशिक भाग आता है- मदसौर, राजगढ़, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, धार, गुना, रतनाम, झाबुआ, देवास, शाजापुर, आगर,- मालवा, सीहोर, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, सागर व् अलीराजपुर

 

नदियाँ –  काली सिंध , क्षिप्रा, पार्वती, चम्बल, बेतवा

वर्षा  –  125 से.मी. से 75 से.मी.

 

उद्योग नागदा-कृत्रिम रेशा| इंदौर, रतलाम, देवास, उज्जैन व् भोपाल में सूती कपड़ा| भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लि. भोपाल| पीथमपुर-ऑटोमोबाईल उद्योग

 

पर्वत –महू को जनापाव पहाड़ी (854 मीटर) से चम्बल नदी का उदगम| (बांग्चु पॉइंट) मालवा के पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार चोटी है, इसकी ऊँचाई 881 मीटर है

 

मध्य भारत का पठार 

मध्य भारत का पठार मालवा के पूर्वोतर में स्थित है| इसकी भौगोलिक स्थिति 24˚ उतरी अक्षांस से 26˚48’ उतरी अक्षांस तथा 75˚50’ पूर्वी देशांतर से 79˚10’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है| इस क्षेत्र में दोमट मिटटी से बढ़ी हुयी जलज चट्टानें पायी जाती है

मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपूरी, गुना, श्योपुर, नीमच व् मंदसौर जिले इसी प्रदेश के अंतर्गत आते है| इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ चम्बल, काली सिंध, पार्वती आदि है|  यह 24˚ से 26˚48’ उतरी अक्षांस व् 74˚50’ से 79˚10’ पूर्वी देशांतर तक फैला हुआ है

 

नदियाँ – चम्बल, सिंध, पार्वती, कवारी, कुनो, आदि

क्षेत्रफल – 32 896 वर्ग किमी (प्रदेश का 10.7) 

जिले – भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालिर, गुना, नीमच, व् मदसौर

तापमान – अधिकतम 40˚ से 44˚ से. न्यूनतम-15˚ से 18˚ से.|

 

वर्षा – 75 सें.मी. से कम

वन – 20 से 27 प्रतिशत वन (मुख्य वृक्ष शीशम, खैर और बबूल)

मिटटी – अलोढ तथा काली

उद्योग – कैलारस (सहकारी) शक्कर), डबरा (चीनी कारखाना) गुना (चीनी कारखाना), शिवपुरी व् बानमौर (खैर उद्योग ), बानमौर (सीमेंट) व् ग्वालियर में कृत्रिम रेशा, बिस्कुट, चीनी मिट्टी बर्तन

 

बुदेलखंड का पठार 

बुन्देलखंड का पठार, मध्य उच्च भूमि के उतरी भाग को कहते है| इसमें मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दतिया, शिवपुरी एवं गुना जिलों के कुछ भाग आते है|

यह पठार बुन्देलखंड नीस नामक प्राचीन चट्टानों के अपक्षय से निर्मित है

इसकी भौगोलिक स्थिति 24˚06’ उतरी अक्षांश से 26˚ 22’ उतरी अक्षांश तथा 77˚51’ पूर्वी देशांतर से 80˚ 20’ पूर्वी के मध्य फैली है| इस क्षेत्र में काली मिटटी तहत लाल मिटटी के मिश्रण से बनी हुई बलुई दोमट मिटटी पायी जाती है| यहाँ के उष्णकटिबन्धीय शुष्क पतझड़ वनों में सागौन, तेंदू, खैर, निम, महुआ, बीजा आदि के  वृक्ष पाए जाते है

उतरी अक्षांश – 24˚06’ से 26˚22’ तक 

पूर्वी देशांतर – 77˚51’ से 80˚22’ तक पठार आर्कियन युग की ग्रेनाईट चट्टानों व् नीस से निर्मित है

नदियाँ – बेतवा, धसान, केन

जिला – दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, शिवपुरी (पिछोर, एवं करेरा तहसीलें), ग्वालियर (डबरा, भांडेर), भिंड (लहार तहसील)

तापमान – अधिकतम 40-41˚  से, न्यूनतम से 12˚ से|

मिटटी – काली, लाल, बलुई व् दोमट

दर्शनीय – आरेछा -बुंदेला राजाओं के किले, दतिया-सतखंडा महल, खजुराहों में शैव, वैष्णव, जैन मंदिरम चंदेरी किला (प्रतिहार कीर्तिपाल – 11 वीं सदी में निर्मित) जौहर कुंड, नौखंडा महल

पर्वत सिद्ध बाबा 1172 मीटर

 

विन्ध्यन कगारी प्रदेश 

विन्ध्यन कगारी प्रदेश मालवा पठार के उतर पूर्व में फैला है| इसे रीवा पन्ना का पठार भी कहते है| इसकी भौगोलिक स्थिति 23˚10’ उतरी अक्षांश से 25˚12’ उतरी अक्षांश और 78˚4’ पूर्वी देशांतर से 82˚18’ पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है| इस पठार की ऊँचाई 300 से 450 मीटर तक है

 

यहां बलुई, लाल एवं पीली मिट्टी पाई जाती है| यहां की औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर के लगभग है| गेहूं इस क्षेत्र की मुख्य फसल है| इस क्षेत्र में पूर्व की ओर चावल की खेती की जाती है| चूना, पत्थर एवं हीरा यहां पाए जाने वाले प्रमुख खनिज है| कृषि यहाँ का प्रमुख व्यवसाय है| इस क्षेत्र के प्रमुख नगर सतना, रीवा, पन्ना, दमोह आदि है|

 

विन्ध्यन श्रेणी

विंध्यांचल श्रेणी पश्चिमी मध्य प्रदेश से लेकर पूर्व में बिहार तक फैली है| इसे पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमशः विंध्यांचल, भांडेर तथा कैमूर की श्रेणियों के नाम से जाना जाता है| होशंगाबाद के पश्चिम में यह विन्ध्यन की चट्टानों से बनी है तथा नूरगढ़ के पश्चिम में यह श्रेणी लावा चट्टानों से बनी है|

इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 500 मीटर के आसपास है पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी ऊंचाई कम होती जाती हैभांडेर, कैमूर की श्रेणियां गंगा नर्मदा बेसिन की जलद्विभाजक है| यहां से निकलने वाली नदियां चंबल, बेतवा तथा के उत्तर की ओर संपूर्ण मध्य उच्च प्रदेश से बहती हुई यमुना में मिल जाती है|

नर्मदा-सोन घाटी

मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा पश्चिमी भाग में नर्मदा तथा सोन नदी की संकरी घाटियों के मध्य का भाग नर्मदा सोन नदी की घाटी कहलाता है| नर्मदा घाटी 22˚30’ उतरी अक्षास से 23˚45’ उतरी अक्षास तथा 74˚ पूर्वी देशांतर से 81˚30’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है| यह घाटी मध्य प्रदेश का सबसे निचा भाग है| यहाँ गहरी काली मिटटी पायी जाती है| महादेव एवं सतपुड़ा श्रेणी पर सदाबहार वन पाए जाते है

इस क्षेत्र में गेहूं, कपास, ज्वार, चावल, बाजरा आदि फसलें उगाई जाती है| नर्मदा घाटी में चूने का पत्थर, फायर क्ले, गेरु, संगमरमर, पत्थर, मैगनीजआदि प्रमुख खनिज पाए जाते हैं| सोन नदी की घाटी में चूने का पत्थर तथा कोयला पाया जाता है| इस घाटी में प्रमुख नगर जबलपुर, नरसिहं, होशंगाबाद, रायसेन , खंडवा तथा खरगौन है

 

2. प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश

प्रायद्वीपीय पठारी के उत्तरी भाग को दक्कन पठार कहते हैं| इस पठार पर स्थित सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग पर है| इसके पूर्व में स्थित बाड़ी क्षेत्र को बघेलखंड पठार कहते हैं| दक्कन पठार के इस पहाड़ी पठारी भाग को निमन दो प्रमुख हिस्सों में बांटा जा सकता है|

 

सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां 

बघेलखंड पठार (पूर्वी पठार)

सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां 

सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां दक्षिणी मध्य प्रदेश में पश्चिमी सीमा के पूर्व में स्थित है| इनका भगौलिक विस्तार 21˚ उतरी अक्षांस से 23˚उतरी अक्षांस तथा 74˚30 पूर्वी देशांतर से 81˚ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है| इस क्षेत्र की अधिकतम ऊँचाई 1350 मीटर (धूपगढ) है

 

वनों से फूफा जी एकत्रित करना तथा खनन उद्योग में कार्य करना यहां का प्रमुख व्यवसाय है| समतल भूमि वाले क्षेत्रों में कृषि होती है| छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खंडवा, सिवनी, बैतूल, मंडला, बालाघाट, खरगोन, बड़वानी, झाबुआ इस क्षेत्र के प्रमुख नगर है|

 

बघेलखंड पठार (पूर्वी पठार)

मध्य प्रदेश के पूर्वी भारत में सोन नदी से पूर्व एक सोन घाटी के दक्षिण का क्षेत्र बघेलखंड का पठार कहलाता हैइसका विस्तार 23˚40’ उतरी अक्षांश से 24˚35’ उतरी अक्षांस तथा 80˚05’ उतरी अक्षांस से 82˚35’ पूर्वी देशांतर के मध्य में स्थित है| इस प्रदेश में आद्य महाकल्प तथा जुरैसिक काल के शैल समूह मिलते है

गोंडवाना शैल समूह इस प्रदेश की भौगोलिक विशेषता है| मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र इसी प्रदेश में स्थित है| इस क्षेत्र की प्रमुख नदी सोन है| यहां काली, लाल, पीली और पथरीली मिट्टी पाई जाती है| चावल यहां की प्रमुख फसल है| 7 गैलेक्सी ज्वार एवं तिल भी उगायें जाते हैं| इस क्षेत्र में वर्णन तथा पहाड़ी दुर्गम स्थान होने के कारण आवागमन के साधनों की कमी है

 

madhya pradesh पर्वत 

मध्य प्रदेश के पर्वत इस प्रकार हैं:

 

1-  विध्यांचल  पर्वत 

विध्यांचल पर्वत नर्मदा नदी के उत्तर पूर्व से पश्चिम की ओर फैला है| इसका निर्माण हिमालय से पहले माना जाता है| इसकी औसत ऊंचाई 400 मीटर से 610 पाई जाती है| परंतु इसकी सबसे ऊंची चोटी 900 मीटर से भी अधिक है| विद्यांचल पर्वत का निर्माण क्वार्टज एवं बालू पत्थरों से हुआ है| इस से निकलने वाली नदियों में नर्मदा, सोन, बेतवा एवं केंन प्रमुख है|

 

2- सतपुड़ा पर्वत 

इस पर्वत का निर्माण ग्रेनाईट एवं बैसाल्ट की चट्टानों से हुआ है| इसका विस्तार नर्मदा नदी के दक्षिण में विंध्यांचल के समानांतर 1120 किमी की लम्बाई है| पूर्व में यह राजपीपला की पहाड़ियों से शुरू होकर पश्चिम घाट तक फैला है| यह पर्वत 700 मीटर से 1350 मीटर तक ऊँचा है| इसकी सबसे ऊँची चोटी धुपगढ़ (1350 मीटर) है जो पंचमढ़ी के पास महादेव पर्वत पर स्थित है| 


मध्य प्रदेश के बारे में कुछ रोचक तथ्य

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  • मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल देश के क्षेत्रफल का 9.38 प्रतिशत है|

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है|

  •  प्रदेश की उत्तर से दक्षिण तक लंबाई 605 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम तक की लंबाई 870 किलोमीटर है|

  •  मध्य प्रदेश की सीमा देश के 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, और महाराष्ट्र से मिलती है|

  •  चंबल की घाटी जलोढ़ निक्षेपण से बनी है जिसे ‘चंबल उप आर्द्र प्रदेश’ भी कहा जाता है|

  • मध्यप्रदेश का पठार बुंदेलखंड, अरावली पर्वत तथा मालवा के पठार से घिरा है, जो विंध्य शैल समूह का पठार है| 

  • बुंदेलखंड का पठार ग्रेनाइट निस से निर्मित है|

  • मध्य प्रदेश की जलवायु समशीतोष्ण मानसूनी प्रकार की है|

  • सर्वाधिक वर्षा सीधी में तथा ग्वालियर और उसके आसपास के क्षेत्रों में न्यूनतम वर्षा होती है| 

  • नर्मदा नदी की मध्य प्रदेश में लम्बाई 1077 किमी. है | 

  • चम्बल नदी की धाराओं से ग्वालियर के निकटवर्ती भागों में अवनालिका अपरदन से बीहड़ो का निर्मन का निर्माण हुआ है| 

  • मध्य प्रदेश में ऋतू सम्बन्धी आंकड़ों को एकत्रित करने वाली वेधशाला इंदौर में स्थित है|

  • उतरी मध्य उच्च प्रदेश में सबसे ऊँचा स्थान जानापाव है|

  • बुंदेलखंड पठार की सबसे ऊँची चोटी सीद्ध बाबा चोटी (1172 मीटर) है| 

  • रीवा-पन्ना के पठार को विन्ध्य का पठारी प्रदेश भी कहते है, जो विंध्य का पठारी प्रदेश भी कहते है, जो विंध्य शैलों से निर्मित है| 

  • मालवा क पठार का निर्माण क्रिटेशिय्म काल के अंतिम चरण के दक्कन ट्रेप के निक्षेपण से निर्मित निक्षेपित भूमि से हुआ है|

  • नर्मदा-सोन एक प्रकार की भ्रंश घाटी है| 

  • सतपुड़ा मैकाल श्रेणी में तीन श्रेणियां राजपीपला, सतपुड़ा और मैकाल है| 

  • सतपुड़ा की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ (1350 मीटर) को चोटी है|

  • बघेलखंड के पठार में तिन शैल समूह और आद्यमहाकल्पी शैल समूह मिलते है| 

  • मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा ताप्ति नदी तथा उतरी सीमा चम्बल नदी बनाती है| 

  • प्रदेश की अधिकतम सीमा उतर प्रदेश से तथा न्यूनतम सीमा गुजरात से लगती है|

  • प्रदेश की पश्चिमी सीमा गुजरात एवं पूर्वी सीमा मैकाल-कैमूर श्रेणियां निर्धारित करती है| 

  • कर्क रेखा प्रदेश को दो बराबर भागों में बांटती हुयी नर्मदा नदी के समानांतर 14 जिलों उज्जैन, रतलाम, आगर-मालवा, राजगढ़, भोपाल, विदिशा, रायसेन, सागर, दमोह, जबलपुर, कटनी, उमरिया, शहडोल एवं अनुपपुर से गुजरती है| 

  • क्रिटेशियस कल्प की चट्टानों बाघ सीरिज एवं ल्मेटा सीरिज के रूप में पायी जाती है| 

  • मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले एवं रायसेन के सिद्ध घाट से भू-वैज्ञानिक को जूरैसिक काल के डायनासौर के जीवाश्म प्राप्त हुए है| 

  • सतपुड़ा पर्वत व् ग्वालिग़ढ पहाड़ियाँ मध्य व् महाराष्ट्र सीमा पर स्थित है|

  • सतमाला पहाड़ियाँ मध्य प्रदेश व् गुजरात की सीमा पर स्थित है|

  • मैकाल पर्वत श्रेणी मध्य प्रदेश व् छतीसगढ़ की सीमा पर अवस्थित है| 

 

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