Light chapter for Competitive Exams in hindi
Earth in the solar system in hindi-सौरमंडल के बारे में जानकारी{पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा}
प्रकाश
प्रकाश एक प्रकार की उर्जा है, जो विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के रूप में संचरित होती है| वायु तथा निर्वात में प्रकाश की गति सबसे अधिक (3 x 10 सें.मी.) होती है|
प्रकाश का फोटान सिंद्धात : प्रकाश विद्युत् प्रभाव एवं कॉम्पटन सिंद्धात की व्याख्या आइस्टीन द्वारा प्रतिपादित प्रकाश के फोटान सिंद्धात द्वारा की जाती है| इस सिंद्धात के अनुसार प्रकाश ऊर्जा जे छोटे-छोटे बंडलों या पैकटों के रूप में चलता है जिन्हें फोटान कहते है|
प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 19 सेकंड का समय लगता है|
प्रकाश का विवर्तन : प्रकाश को अवरोध के किनारों पर थोडा मुड़कर उसकी छाया नें प्रवेश करने की घटना की विवर्तन कहते है|
प्रकाश का प्रकीर्णन : जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमें धुल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्ष्म कण होते है, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है| इस घटना की प्रकाश का प्रकीर्णन कहा जाता है| बैंगनी रंग प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है|

आकाश का रंग नीला रंग प्रकीर्णन के कारण होता है|
प्रकाश का परावर्तन : प्रकाश के चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है| परावर्तन के दो नियम है-
(i)आपतित किरण, आपतित बिंदु पर अभीलंब व् परावर्तित किरण एक ही तल ही होते है|
(ii)आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर कोण होता है|
समतल दर्पण में किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी ही उतने ही दुरी पर बनता है, जितनी दुरी पर वस्तु दर्पण के आगे रखी होती है| यह प्रतिबिम्ब काल्पनिक,वस्तु के बराबर एवं पाशर्व उल्टा बनता है|
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है-
(i)अवतल दर्पण (ii)उतल दर्पण
(i)अवतल दर्पण: जिस गोलीय दर्पण का परावर्तन तल धंसा रहता है, उसे अवतल दर्पण कहते है| अवतल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहा जाता है क्योंकि यह अनंत से आने वाली किरणों की फैलता है| अवतल दर्पण के उपयोग –- बड़ी फोकस वाला अवतल दर्पण दाढ़ी बनाने में काम आता है|
– आँख, कान एवं नाक के डॉ. के द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला दर्पण|
– गाडी के हेडलाईट एवं सर्चलाईट में
– सोलर कुकर में|
(ii) उतल दर्पण: जिस गोलीय दर्पण की परावर्तक सतह उभरी रहती है, इस उतल दर्पण कहा जाता है| उतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहा जाता है| क्योंकि यह अनंत से आने वाली किरणों को सिकोड़ता है|
-मोटरवाहन में चालक के बगल में पृष्ठ दृश्य दर्पण लगाया जाता है|
-सड़क लगे परावर्तक लैम्पों में उतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है| विस्तार क्षेत्र अधिक होने के कारण ये प्रकाश को अधिक क्षेत्र फैलाते है|