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Introduction to Nouns and Pronouns
किसी भी भाषा में संज्ञा और सर्वनाम वाक्य रचना में अपना विशेष स्थान रखते हैं। किसी वाक्य में इनका स्थान अनिवार्य होता है अर्थात इनके बिना वाक्य की रचना संभव नहीं होती है। अतः भाषा व्याकरण में इनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही कारण है व्याकरण के विद्यार्थियों के लिए संज्ञा और सर्वनाम का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। दोस्तों हमारा यह लेख Introduction to Nouns and Pronouns – संज्ञा और सर्वनाम के बारे में है | इसमें हमने इससे जरूरी प्रश्नों के बारे में जानकारी साझा की है |
संज्ञा एवं सर्वनाम
संज्ञा – किसी व्यक्ति, जाति, स्थान भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता है| जैसे महेश, दिल्ली,पशु और मिठास |
संज्ञा के तीन भेद होते है –
1.व्यक्तिवाचक – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, आदि का बोध कराए उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | जैसे – कृष्ण, दिल्ली, गंगा आदि |
2.जातिवाचक – जो शब्द किसी संम्पूर्ण जाति का बोध कराए उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | जैसे – स्त्री, पुरुष, पशु, नगर आदि |
3.भाववाचक – जो शब्द किसी के धर्म, अवस्था, भाव, गुण-दोष आदि प्रकट करे उसे भाववाचक संज्ञा कहते है | जैसे- मिठास, मानवता, सत्यता आदि | सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग होता है | उन्हें सर्वनाम कहते है| जैसे- मोहन, सोहन के साथ उसके घर आया | इस वाक्य में मोहन के स्थान पर उसके शब्द का प्रयोग किया है, जो सर्वनाम है |
सर्वनाम के 5 भेद है –
1.पुरुषवाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही हो, उसका ज्ञान प्राप्त हो, उसे पुरुषवाचक स्रवना, कहते है |
2.निश्चयवाचक – इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दूर की वस्तु का निश्चय होता है| जैसे यह, ये, वह. वे |
3.अनिश्चयवाचक – इस सर्वनाम में किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान होता है | कोई, कुछ |
4.सम्बन्धवाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर सम्बन्ध का ज्ञान होता है | जैसे – जो,सो | जो करेगा, सो भरेगा |
5.प्रश्नवाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है | जैसे – कौन, क्या | आप कौन है? मैं क्या करूँगा?
6.निजवाचक – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे – मैं यह काम अपने आप कर लूँगा |
