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भारत का गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस हिन्दुस्थान का एक राष्ट्रीय त्यौहार है| यह हर वर्ष 26 जनवरी के दिन मनाया जाता है| 26 जनवरी के दिन ही यानी कि 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) हटाकर भारतीय सविंधान लागू किया गया था|
26 जनवरी 1950 के दिन भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया| भारत देश में कानून स्थापित करने के लिये इस सविंधान को भारतीय सविंधान सभा द्वारा 26 नवबर 1949 को अंगीकृत गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लोकतंत्र सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था|
इस तारिक भारतीय सविंधान द्वारा इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया गया था| गणतंत्र दिवस भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है और दुसरे दोनों स्वंत्रता दिवस और गांधी जयंती है|
India Republic Day 2021 – भारत का गणतंत्र दिवस 2021
2021 में 26 जनवरी 2021 भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा| 26 जनवरी 2021 को देश का 72 वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा | भारत ने पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1951 को मनाया गया था|
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने सविंधान को 2 साल 11 महीने 18 दिन में पूरा किया तथा राष्ट्र को समर्पित किया गया तथा इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था| हमारा सविंधान विश्व में सबसे बड़ा सविंधान माना जाता है|
हर साल यह दिवस धूमधाम से मनाया जाता है तथा इसकी तैयारियां महीनों पहले शुरू हो जाती है| इस साल गणतंत्र दिवस बहुत ही ख़ास होने वाला है| इसका कारण है राम मंदिर | अयोध्या में बन रहे राम मंदिर कि सुन्दरता का प्रदर्शन 26 जनवरी 2021 को राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस में होने वाली परेड के दौरान किया जाएगा| इस मौके पर अयोध्या के राम मंदिर की परेड कि तैयारी ख़ास तौर पर की जा रही है|
26 जनवरी 2021 गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि
26 जनवरी 2021 गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन आने वाले थे लेकिन बोरिस ने कोरोना के नये स्ट्रेन के चलते भारत का दौरा रद्द किया है|इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में किसी भी मुख्य अतिथि को नही बुलाया गया है| यह चौथा(1952,1953 और 1966) एसा मौका होगा जब भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में कोइंभी मुख्य अतिथि नही होंगे| इससे पहले 26 जनवरी 2020 के 71 वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो थे|
गणतंत्र दिवस का इतिहास
लाहौर अधिवेशन 1929 में कांग्रेस का एक वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया| इसके मुख्य अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरु जी थे| पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर इस बात घोषणा की गयी की अंग्रेजी सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमेनियन का पद प्रदान नहीं करेगी|
जिसके अनुसार भारत ब्रिटिश सम्राज्य में ही स्वशाषित इकाई बन जाने से उस दीन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय कि घोषणा की और अपना आन्दोलन शुरू किया तथा 31 दिसम्बर 1929 को रावी नदी के तट पर तिरंगा फ़हराया| कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में नेहरु रिपोट को पूरी तरह से निरस्त घोषित किया गया|
इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का अंतिम लक्ष्य निर्धारित किया गया| 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया| उसी दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा| इसके बाद स्वतंत्रता प्राप्ति का दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने के लिये स्वीकृति मिल गयी|
इसके बाद भारत आजाद होने के बाद सविंधान सभा की घोषणा हुयि और सविधान का कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया गया| सविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गये|
इसमें मुख्य सदस्य डॉ भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरु, डॉ राजेन्द्र प्रसाद , सरदार बल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे| सविंधान के निर्माण में 22 समितियां थी जिसमे प्रारूप समिति सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण थी| इस समिति का कार्य सम्पूर्ण ‘सविंधान लिखना’ तथा निर्माण करना था|
प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी थे| प्रारूप समिति ने और उसमे विशेष रूप से डॉ. भीमराव जी ने 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिन में भारतीय सविंधान का निर्माण किया| सविंधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेद्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का सविंधान में सपुर्द किया इसलिए 26 नवम्बर को भारत में सविंधान दिवस मनाया जाता है|
सविधान सभा ने सविंधान के निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की| अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को सविंधान पर हस्ताक्षर किये तथा इसके दो दिन बाद सविंधान 26 जनवरी 1950 को देश भर में लागू किया गया|
इसके बाद दिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने का निर्णय लिया गया तथा स्वतंत्र भारत ने 26 जनवरी 1951 को अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया|
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