Important Facts about Madhya Pradesh in hindi
दोस्तों आपका हमारी website में स्वागत है| आज हम अपन इस लेख में Important Facts about Madhya Pradesh in hindi के बारे में जानकरी दी है| जो आपके लिए महत्वपूर्ण होने वाली है| इसका अधयन्न करके आप आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में सहायता मिल सकती है|
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वन क्षेत्र की विशालता की दृष्टि से मध्य प्रदेश बहुत समृद्ध राज्य है। वनों का शत-प्रतिशत राष्ट्रीयकरण करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला एवं अकेला राज्य है। वन स्थिति रिपोर्ट 2015 के अनुसार प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 30.72% भू-भाग वनों से आच्छादित है। प्रदेश में 77522 वर्ग कि.मी. क्षेत्र वनों से ढका हुआ है। प्रदेश के कुल वन क्षेत्र में से 496 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पर अति सघन वन, 4.127 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पर मध्यम सघन वन तथा 7166 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पर खुले वन स्थित है। मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र देश के वनक्षेत्र का लगभग 10.72% है। इन वनों में मुख्यतः साल, बबूल, सलाइ, धवरा, तेंदु, महुआ, टीक, अन्जभ और हरी के वृक्ष हैं।

वन के क्षेत्रफल की दृष्टि से असम के बाद मध्य प्रदेश का ही स्थान आता है। प्राकृतिक वनस्पति की इस सम्पन्नता का कारण यह है कि मध्य प्रदेश के प्रधरीले और पहाड़ी भागों पर कृषि सम्भव नहीं है। अतः हसा पुरा क्षेत्र प्राकृतिक वन संपदा के विकास में महत्वगं कारक है। इस प्रदेश तापमान और वर्ग भी वनों की संपदा के लिए उपयुक्त है। मध्य प्रदेश के वनों में सबसे अधिक जान के वृक्ष पाए जाते है।
विविध जंगलों सहित प्राकृतिक संसाधनों के मामले में मध्य प्रदेश भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है| कुल 3.08 वर्ग किलोमीटर अर्थात (94689 वर्ग किलोमीटर) में से 30.72 प्रतिशत क्षेत्र पर वन फैले हुए हैं| राज्य की भौगोलिक स्थिति और जैविक विविधता कांटेदार जंगलों से लेकर उष्णकटिबंधीय पहाड़ी जंगलों जैसे 18 वन प्रकारों में परिलक्षित है| राज्य में 9 प्राकृतिक और 11 जलवायु कृषि क्षेत्रों में बटा हुआ है| राज्य के कुल वन क्षेत्र में से 31098 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आरक्षित वन फैले हुए हैं|
वनों का घनत्व राज्य में एक समान नहीं है| बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, बैतूल, सिवनी, छिंदवाड़ा, शहडोल, हरदा, श्योपुर, सिद्धि, जिलों में घने वन दिखाई देते हैं| राज्य में ज्यादातर वन दक्षिण और पूर्व इलाके में है|
श्योपुर और पन्ना उल्लेखीय अपवाद रहे है|
क्रं.सं. | वन प्रकार समूह | वन आच्छादन का प्रतिशत |
1 | उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन | 8.97 |
2 | उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन | 88.65 |
3 | उष्णकटिबंधीय कंटक वन | 0.26 |
प्रसिद्ध विद्वान जॉर्ज के अनुसार राज्य में 18 वन प्रकार है, जो तीन प्रकार के वन समूह में बांटे गए हैं-उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय कंटक वन| वन आच्छादन मुल्यांकन के आधार पर राज्य के वनों में पये जाने वाले विभिन्न प्रकार के वन समूहों के वन आच्छादन क्षेत्र का प्रतिशत के लिहाज से वितरण इस प्रकार है-
मध्य पदेश को 16 वनक्षेत्रीय मंडल, 9 राष्ट्रिय उद्यान और 25 अभ्यारणों में विभाजित किया गया है| वनमंडल में 63 वन प्रभाग शामिल है| प्रत्येक कृषि जलवायु क्षेत्र में एक अनुसंधान विस्तार इकाई है| देश के 131 कृषि जलवायु क्षेत्रों में से मध्य प्रदेश में 11 क्षेत्र उपलब्ध है| यहं औषधि उद्योग में इस्तेमाल होने वाली 50% से अधिक जड़ी बूटियों का प्राकृतिक निवास स्थान है|
Mp Gk in hindi
रिकॉर्डिंग वन क्षेत्र
रिजर्व सरंक्षित अवर्गीकृत कुल राज्य का प्रतिशत भारत का प्रतिशत | 61,886 वर्ग कि.मी. 31,098 वर्ग कि.मी. 1,705 वर्ग कि.मी. 98,689 30.72% 12.27% |
हरित आच्छादित आंतरिक वन आवरण
अति सघन वन मध्यम सघन वन खुले वन कुल | 6,136 वर्ग कि.मी. 30,794 वर्ग कि.मी. 28,303 वर्ग कि.मी. 65,233 वर्ग कि.मी. |
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हरित आच्छादित बाह्य वन आवरण
अति सघन वन 496 वर्ग कि.मी.
मध्यम सघन वन 4,127 वर्ग कि.मी.
खुले वन 7666 वर्ग कि.मी.
कुल वन 12,289 वर्ग कि.मी.
कुल वन आवरण 77,522 वर्ग कि.मी.
वृक्ष आवरण 7087 वर्ग कि.मी.
कुल वन एवं वृक्ष आवरण 84.609 वर्ग कि.मी.
प्रति व्यक्ति वन एवं वृक्ष आवरण 0.116 हे.
राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल का प्रतिशत 27.45%
भारत का वन एवं वृक्ष आवरण का प्रतिशत 10.72% प्रतिशत
स्रोत – राष्ट्रीय वन रिपोट 2013
वनों के प्रकार
वर्षा तापमान एवं अन्य भगौली कारणों से प्रदेश में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं| प्रदेश में सामान्यतः उष्णकटिबंधीय वनों की प्रधानता है-
1. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
यह वन 50 से 100 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं| ग्रीष्म ऋतु में जल के अभाव के कारण वृक्ष अपनी पत्तियां गिरा देते हैं| इन वनों में उत्तम इमारती लकड़ी पाई जाती है| सागौन, शीशम, नीम, पीपल आदि के वृक्ष इन वनों की विशेषता है| ये वन सागर, जबलपुर, छिंदवाडा, दमोह, छतरपुर,पन्ना, बैतूल,सिवनी, और होशंगाबाद जिलों में पाए जाते है|
2. उष्णकटिबंधीय अर्ध पर्णपाती वन
यह बना 100 से 150 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं| इन वनों में भी बीजा, धौरा, कसाई, तिन्सा, जामुन, महुआ, सेजा, हर्रा आदि के वृक्ष मिलते हैं| लेकिन साल, सागौन, बांस आदि वृक्षों की बहुलता होती है| ये वन राज्य के शहडोल, मंडला, बालाघाट और सीधी जिले में पाए जाते हैं|
3. उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
यह वाला 25 सेंटीमीटर से 75 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में मिले हैं| इन वनों में बाबूल, कीकर, हर्रा, पलाश, तेंदू, धौरा, शीशम, हल्दू,सागौन, सिरस आदि वृक्ष पाए जाते हैं| यह वन श्योपुर, रतलाम, मंदसौर, दतिया, टीकमगढ़, ग्वालियर, ग्वालियर, खरगौन आदि जिलों में मिलते हैं|
Important Facts about Madhya Pradesh in hindi
–राज्य को 11 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बांटा गया है|
-राज्य में 5 फसली क्षेत्र है|
-राज्य में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए दो कृषि विश्वविद्यालय- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर (1964) तथा राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर (2008) स्थापित है|
-देश की प्रथम जैविक खेती इकाई इंदौर में स्थापित है|
-मध्य प्रदेश का पहला ‘सैलरिच’ संयंत्र भोपाल में स्थित है| तथा राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर में है|
-मंडला जिले में जैविक खेती अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जा रही है|
-जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का जनक बीज की पूर्ति करने में देश में प्रथम स्थान पर रहा है|
-मध्य प्रदेश में सबसे अधिक गेहूं का कृषि उत्पादन होता है|
-प्रदेश में देश के कुल वन एवं वन्य आच्छादन का 10.73% हिस्सा है|
-सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला बालाघाट (4970 वर्ग किलोमीटर) तथा न्यूनतम वन क्षेत्र वाला जिला शाजापुर (29 वर्ग) किलोमीटर है|
-सर्वाधिक वन क्षेत्र प्रतिशत वाला जिला बालाघाट (53.85%) तथा न्यूनतम वन क्षेत्र प्रतिशत बाला जिला शाजापुर (0.47%) है|
-सर्वाधिक मध्यम सघन वाला जिला बालाघाट (2283 वर्ग कि.मी.) तथा न्यूनतम मध्यम सघन वन वाले जिले रतलाम व उज्जैन (4 वर्ग किलोमीटर) है|
-मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम की स्थापना 24 जुलाई 1975 को हुई|
-देहरादून (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड कॉलेज’ के चार क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों में से एक मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित है|
-राज्यों में विश्व बैंक की 800 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता से मध्यप्रदेश में वानिकी परियोजना का आरंभ सितंबर 1995 में किया गया|
-मध्यप्रदेश में दो ‘वनराजिक महाविद्यालय’ बालाघाट एवं बैतूल में क्रमशः 1979 तथा 1980 में स्थापित किए गए|
-पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में वृक्षारोपण की महत्वकांक्षी ‘सामाजिक वानिकी योजना’ सन 1976 में प्रारंभ की गई तथा प्रदेश के 21 जिलों में लागू है|
-मध्यप्रदेश के ऐसे जिले हैं जहां वन क्षेत्र राष्ट्रीय वन नीति के निर्धारित मापदंड 33% से कम है, वहां नवीकरण के लिए 1976 से ‘पंचवन योजना’ चलाई जा रही है|
-वनों का शत-प्रतिशत राष्ट्रीयकरण करने वाला देश का पहला राज्य मध्य प्रदेश राज्य का संपूर्ण वन क्षेत्र वन विभाग के नियंत्रण में है|
-मध्य प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन मध्यप्रदेश शासन वन विभाग के अंतर्गत 13 जुलाई 2005 को किया गया| इसका उद्देश्य इको पर्यटन की संभावनाओं की पहचान एवं सुविधाओं का विकास प्रदेश में विकसित एवं प्रसारित इको पर्यटन सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप वर्गीकृत करना कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के प्रचार प्रसार एवं विपणन का कार्य करना है|
-मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ का गठन 1984 में किया गया प्रदेश में लघु वनोपज का संग्रहण एवं व्यापार इस संस्था द्वारा किया जाता है|
-सामुदायिक वन प्रबंधन परियोजना के तहत राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के नाम से कार्य किया जा रहा है| जिसका उद्देश्य वन समितियों को प्रशासनिक एवं वानिकी कार्य से संबंधित तकनीकी विषयों पर प्रशिक्षण देना और लघु मध्यम उद्योग चलाने के लिए सहायता देना है|
-भारत सरकार द्वारा वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर योजना शुरू की गई थी| इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश में अब तक छह संरक्षित क्षेत्रों में राष्ट्रीय उद्यान का चयन किया गया है| कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, संजय, तथा सतपुड़ा|
-देश में विलुप्त प्राय एशियाई सिहों की प्रजाति के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की पहल पर राज्य में कूनो पालपुर अभ्यारण, श्योपुर का चयन किया गया है|यहां एशिया एशिया पुनर्वास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है|
-मध्य प्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ के नाम से जाना जाता है|
-बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान देश में सर्वाधिक घनत्व वाला उद्यान है| इसे सफेद बाघों की मातृभूमि भी कहा जाता है|
-देश में राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों की संख्या की दृष्टि से मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान है|
-मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान वन विहार(भोपाल) तथा सबसे छोटा अभ्यारण रालामंडल (इंदौर) है|
-मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण नौरोदही अभ्यारण (1,194 कि.मी.) है| जबकि कान्हा राष्ट्रिय उद्यान (940 वर्ग कि.मी). सबसे बड़ा राष्ट्रिय उद्यान है|
-राज्य में पाए जाने वाले पक्षियों को 3 वर्गों रिक्सिया पक्षी थलियों पक्षी व जलीय पक्षियों में बांटा गया है|
-भारतीय पक्षियों में सबसे छोटा पक्षी पुलचुकी मध्य प्रदेश में बहुत देखा जाता है| थिक्रा पक्षी पपीहा जैसे दिखने वाला शिकारी पक्षी मध्यप्रदेश में सर्वाधिक संख्या में पाया जाता है|
-माधव राष्ट्रीय उद्यान में पहाड़ी की चोटी पर जॉर्ज कैसल नामक एक भव्य भवन है|
-बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बना|