Human Nervous System about in hindi

human body diseases gk notes in hindi

ह्रदय मानव शरीर का विशिष्ट प्रकार की पेशियों का बना एक पंप है| जिसमें चार कोष्ठ होते है- दायाँ अलिंद, बायाँ आलिंद, दायाँ निलय और बाया निलयं दोनों अलिंद और निलय कपाट द्वारा विभक्त होते है| शरीर के विभिन्न अंगों से रक्त एकत्रित होकर दो म्हाशिराओं में आता है| हो दाहिने आलिंद में खुलती है| फिर यह रक्त अलिंद में आ जाता है| दाहिने निलय में प्रकुंचन से रक्त पल्मोनरी शिराओं द्वारा बायें आलिंद में आता है, और फिर निलय में पाया जाता है| पुन: निलय में सकुचन में शरीर के विभिन्न अंगों में भेज दिया जाता है|अत: यह एक लम्बी नली है जो मुह से शुरू होकर मलद्वार तक जाती है| इस नली में पाचन का कार्य होता है|

गुद्धा (वृक्क): मानव शरीर में दो वृक्क होते है| वृक्क की आकृति सेम के बिज जैसी होती है| यह उदरगुहा में स्थित होते है| रक्त का परिशोधन वृक्क में होता है| यह रक्त की अशुद्धियों को छानकर बाहर निकलता है जो मूत्र के जरिये शरीर से बाहर निकाल देता है|

यकृत (लीवर): यह शरीर की सबसे लम्बी ग्रन्थि है| को गहरेलाल का तथा 40 से 60 ओंस वजन होता है| यह डायफ्राम के ठीक निचे होता है| यह गलाइकोज्न को सग्रहित करता है| यह दूषित रक्त कणिकाओं को नष्ट कर प्रमुख उत्सर्जी अंग का कार्य करता है| यूरिया का निर्माण यकृत में होता है तथा इसका उत्सर्जन वृक्क के माध्यम से होता है|

पेशी तंत्र(muscular system): पेशियाँ त्वचा के निचे का मास होती है| सम्पूर्ण मानव शरीर में 500 से अधिक पेशियाँ पायी जाती है| ये केंद्र में मोटी तथा अंत में पतली होती है| इनके सकुचन से विभिन्न शारीरिक गतिविधियाँ होती है| कार्य के आधार पर पेशियों को दो भागों में विभाजित किया जाता है|

1.एच्छिक पेशियाँ

इसका निर्माण रेखित पेशी उतकों से होता है| इसका सकुचन मनुष्य की इच्छानुसार होता है| इस वर्ग में सिर,कान तथा अग्र अंगों के सभी पेशियों एवं कुछ आंतरिक अंग जैसे जीभ, गला आदि तंत्र आते है|

2.अनैच्छिक पेशियाँ:

इसका निर्माण आरेखित (चिकिनी)पेशी उतकों से होता है| ये आंतरिक अंगों, रुधिर वाहिकाओं तथा त्वचा की सतह पर पायी जाती है| इन पेशियों का सकुचन मनुष्य की इच्छा द्वारा नियंत्रित नहीं होता है|

तंत्रिका तंत्र (nervous system)

तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों एवं सम्पूर्ण जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करता है| सकूंचन, ग्रन्थि स्त्राव, ह्रदय कार्य, उपापचय तथा शरीर में निरंतर घटने वाली अनेक क्रियाओं का नियत्रण तंत्रिका तंत्र के द्वारा होता है| तंत्रिका क्षेत्र के केन्द्रीय भाग भी है| यहाँ से छोटी से छोटी पतली तंत्रिकाएं पुरे शरीर में फैली रहती है| तंत्रिका तंत्र की बुद्धि, इच्छा कार्य, स्मरण शक्ति, विचार, भावना आदि को नियंत्रित करता है|

अग्नाशय

अग्नाशय यह एक बड़ी ग्रन्थि है| जो पेट के पिछले भाग में होता है| यह इन्सुलिन का स्त्राव करता है| इसके प्रभाव से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज की खपत बढ़ाकर प्रोटीन संसलेष्ण करता है| यह यकृत में गलाईकोजेनिसिस का प्रेरक भी है|

प्लाज्मा(plasma):

रक्त का तरल भाग है| जिसमें 90 प्रतिशत जल एवं 10 प्रतिशत अन्य प्रदार्थ जैसे-प्रोटीन, कार्बनिक पदार्थ एवं अकार्बनिक पदार्थ, क्लोराईड, बाइकार्बोनेट सल्फेट,फास्फेट, सोडियम, पोटाशियम,कैल्शियम इत्यादि होते है| यह भाग रक्त के थक्के बनाकर बहने से रोकता है|

रेटिना (दृष्टि पटल)

यह आँख के काले भाग के एकदम बीच का भाग है| यह एक संवेदी तंत्रिका पटल है| जहाँ से बड़ी संख्या में छोटी-छोटी नसें दिमाग तक जाती है| आँख का लेंस इस जटिल परत पर वस्तु की छवि फोकस करता है और यह परत छवि को ग्रहण कर, रंगों की पहचान कर मस्तिष्क तक सुचना भेजता है| लार मुह में लार ग्रन्थि द्वारा निकले रस में मुख्यत: स्लेश्म(म्यूक्स) होता है| जीभ की सहायता से भोजन के कण एवं स्लेश्म आपस में मिल जाते है| लार में एमाएलेज नामक एंजाईम होता है| जो कार्बोहाईड्रेटस(स्टार्च) का आंशिक पाचन करता है|

मनुष्य में पाए जाने वाले कुछ संवेदी अंग

आँख देखने के लिए, कान सुनने के लिए तथा संतुलन के लिए, नाक श्वाश शक्ति के लिए, मुहँ स्वाद के लिए, त्वचा स्पर्श तापमान और दर्द के लिए|

कंकाल तंत्र

मानव शरीर छोटी बड़ी कुल 206 हड्डियों से बना है| हड्डियाँ से बने ढांचे कंकाल तंत्र कहते है| हड्डियों आपस में मिलकर संधियों द्वारा जुडी रहती है यह हमारे शरीर को एक रुपरेखा देती है| महत्वपूर्ण अंग की रक्षा करती है|

कंकाल तंत्र के चार भाग है-

1.खोपड़ी

2.मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी

3.ह्रदय गुहिका से जुडी हड्डियाँ

4.उपर तथा निचे के अंगों की हड्डियां

त्वचा पुरे शरीर का आवरण है जो पेशी को सुरक्षा प्रदान करती है| इसकी दो परत होती है| बाहरी परत या एपीडरर्मिस, अंत: परत या डर्मिस|

त्वचा तापमान को नियंत्रित और संचरित करता है| यह स्पर्श संवेदना को नियंत्रित करने के साथ शरीर की गंदगी को पसीने के रूप में बाहर निकालता है| डर्मिस संयोजी उत्तक का बना होता है| इसी में बालों की जड़ें सिबेसिये ग्रन्थि, तंत्रिका कोशिकाएं तथा रक्त वाहिनीया होती है| इपीडर्मिस इपिथिलिय्म उतक का बना होता है| जिसमें रक्त तंत्रिकाओं का आभाव होता है| मेरुरज्जु रस्सी के समान रचना होती है| जो कोशिकाओं से घिरी होती है| एक साधारण मनुष्य में मेरुरज्जु को लम्बाई 45 सें,मीटर तक होती है| केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क व् मेरुरज्जू से मिलकर बना होता है| समस्त वातावरण से आई संवेदनाएं केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में पहुंचती है| ब्रेन स्टेम मस्तिष्क का सबसे निचला भाग है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से पहुंचती है| ब्रेन स्ट्रेम मस्तिष्क का सबसे निचला भाग है जो मेरुरज्जू से जुड़ा होता है| मनुष्य में 12 जोड़ी तंत्रिकाएं मेरुज्जू से निकलती है|

तिल्ली या प्लीहा 

तिल्ली या प्लीहा डायग्फ्राम के पास शरीर के बाएं भाग में स्थित होता है| यह रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करता है|

थायराइड ग्रन्थि 

थायराइड ग्रंथि गले के निचले भाग में होती है और यह शारीरिक वृद्धि प्रदान करता है| यह शरीर के विभिन्न गतिविधियों की गति को नियंत्रित करता है| इसके अतिस्त्राव से व्यक्ति में ऑक्सीजन उपापचय की दर में वृद्धि हो जाती है| व्यक्ति बेचैन हो जाता है, और हृदय की गति बढ़ जाती है, वजन कम होने लगता है| इस ग्रंथि को बढ़ जाने पर घेंघा रोग हो जाता है| ग्रन्थि को ठीक से काम करने की स्थिति में Macxo romedia हो जाता है|

मूत्रमार्ग 

यह मूत्र नली है जो ज्यादातर स्तनधारियों में पाई जाती है यह मूत्र को उत्सर्जित करता है और पुरूषों में जनन अंग के रूप में कार्य करता है| मानव शरीर के अतिआवश्यक अंग ह्रदय, फेफड़ा, मस्तिष्क, गुदा (वृक्क) यकृत, मेरुदंड|

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