मलेरिया
प्लाजोडियम मलेरी नामक प्रोटोजोआ इसका कारण है| यह मादा एनाफ्लिज मच्छर से फैलता है| इस रोग में रोगी को ठंड लगकर तेज बुखार आता है| तेज सिर दर्द के साथ उलटी होती है| पसीना आने के बाद बुखार इर दर्द कम हो जाता है|
मच्छरों की रोकथाम के लिए डी.डी.टी. का छिडकाव किया जाना चाहिए| रात को मच्छरदानी में सोना चाहिए| इन उपायों से रोग से बचा जा सकता है| कुनैन की गोली इसका इलाज है|
खसरा
यह संक्रमित रोग है जिसमे बुखार, आँखों का लाल हो जाना, लाल-लाल दाने निकलना है| यह वायरस जनित रोग है| आँख नाक और गले में संक्रमण हो जाता है|
प्लेग
इसका पेस्टयुरेला प्रेस्टिल नामक बैक्टीरिया है| यह रोग चूहे से आदमी में फैलता है| तेज बुखार, उल्टी, गर्म सूखी त्वचा प्यास लगना तथा त्वचा पर काले धब्बे का बनना, लिम्फ ग्रंथि का फूल जाना इसके लक्षण है| इसका इलाज सल्फा ड्रग्स और स्ट्रेपटोमयिसिन है|
पोलियो
पोलियो या पोलियोमा लाइटटिस इससे संक्रामक रोग है, जो विषाणु के कारण होता है| यह वायरस या विषाणु आंतों में वृद्धि करता है और तब वह शरीर के अन्य भागों में फैलता है| जिससे हल्के फ्लू के समान लक्षण वाली अवस्था होती है| पोलियो के वायरस गले व् मल में होते हैं| यह वायरस सुषुम्ना तंत्र में पहुंच जाता है और तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित कर जीवन भर के लिए रोगी को लकवा ग्रस्त कर सकता है|
पायेरिया
पायरिया मसूड़ों में संक्रमण से दांतो की सफाई करते समय खून निकलने लगता है| पेंनसिलन इन लोजेंस या विटामिन सी की गोली उपचार में सहायक होती है| लेकिन पूरा उपचार रोग के कारण पर निर्भर करता है| अतः दंत चिकित्सक की सलाह जरूरी होती है|
हाइड्रोफोबिया
रेबीज वायरस का कारक है| यह पागल कुत्ते के काटने से होता है| इससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है| रोग से सिर दर्द, नकसीर, उल्टी, बुखार, अनिद्रा, जल से भय लगना अपंगता और मृत्यु हो सकती है| इस रोग के टीके उपलब्ध है|इसकी रोकथाम के लिए कटी जगह को गर्म पानी से तुरंत साफ करना चाहिए|
रिकेट्स (सुखा रोग)
यह छ: से 15 महीने के शिशु में होने वाली हड्डी की बीमारी है| यह ज्यादातर प्राकृतिक आहार ना करने वाले बच्चों को विटामिन ए तथा विटामिन डी की कमी से होता है| पैर और हाथ की हड्डियां सूखने लगती है, और पेट का आकार बढ़ जाता है, बच्चा कमजोर और अविकसित हो जाता है| धूप का सेवन ना करने से यह ज्यादातर होता है|
स्कर्वी
यह यह रोग विटामिन सी की कमी से होता है इसका उपचार फल और संपूर्ण है| ज्यादातर खट्टे फलों का सेवन करने से यह रोग दूर होता है| विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत आंवला है| आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|
चेचक (स्माल पॉक्स)
सभी उम्र के लोगों को वैरीयोला वायरस से रोगी के सीधे संपर्क में आने तथा संक्रमित वस्तुओं से होता है| रोगी को तेज बुखार सिर्फ और बदन दर्द त्वचा पर लाल धब्बे बाद में फफोला हो जाता है| त्वचा पर गड्ढे का निशान बन जाता है|
रोकथाम: टिका, रोगी को अलग रखना, रोगी के विस्तर तथा कपड़े को साफ़ सुथरा रखना, रोगी के साथ नही घुलना मिलना|
टिटनेस
यह रोग क्लोसट्र्रीडीयम टिटेनी नामक बैक्टीरिया द्वारा होता है| बैक्टीरिया मिटटी में रहता है| तथा घाव एव कते स्थान से शरीर से शरीर में प्रवेश करता है| इलाज पेंनसलिन का टिका| बचाव: कटने की स्थिति में तुरंत एटीसरिम इजेंक्शन लेना चाहिए|