Human Body Diseases Gk notes in hindi

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मानव शरीर की बीमारियाँ

मानव शरीर एक जटिल सरंचना है जो अरबों कोशिकाओं, हड्डिया तथा धमनिया से बना है| तंत्रों की सुचारू रूप से चलाने के लिए मानव को स्वास्थ्य मानव को स्वास्थ्य रक्षा की जरूरत पडती है| इसके लिए उसे अपने वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और संतुलित आहार ग्रहण करना चाहिए| तमाम स्स्वधानियाँ बरतने के बावजूद मानव शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते है|

एड्स (AIDS)

एड्स ‘एक्वायर्ड इम्यून डिफिशियेन्सी सिन्ड्रोम’ एक वायरल रोग है।यह मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को समाप्त कर देता है जिससे शरीर विभिन्नप्रकार के रोगो हो जाता है। शरीर में प्रवेश के बाद यह वायरस HIV ल्यूकोसाईट कीकोशिकाओं -टी-4 ल्यूकोसाइट- के ऊपर अपना नियंत्रण स्थपित कर लेता है।यह वायरस शरीर के सभी द्रव्यों के जरिये प्रसारित होता है। असुरक्षित सम्भोग, दूषित सुई आदि के प्रयोग से यह रोग फैलता है। यह अत्यंत घातक रोग है और अनुसंधानकर्ता इस रोग का उपचार नहीं निकाल पाये हैं।

एपेन्डीसाइटिस

यह बड़ी आंत का रोग है जिसमें पेट के उपरी भाग में तेज दर्द होता है। बुखार और उल्टी भी हो सकती है। शल्यचिकित्सा द्वारा प्रायः इसका उपचार होता है।

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बेरी-बेरी

यह विटामिन बी 1 (B) की कमी से होता है। यह विटामिन प्रायः सभी अनाजों में पाया जाता है, खासकर छिलके में। इसकी रोकथाम संतुलित मिश्रित आहार से की जा सकती है।

कॉलरा

यह विविओ कालरी बैक्टीरिया से होने वाला रोग है। दूषित, पानी, भोजन, फल तथा सब्जियों को खाने से यह रोग उत्पन्न होता है। इलाज थॉम्ब का कॉलारा मिश्रण। बचावः टीका, रोगी, को अलग रखना तथा दूषित भोजन और जल का सेवनन करना।

मधुमेह

इसका तात्कालिक कारण है, अग्नाशय का सही काम न करना जो इन्सुलिन का उत्पादन करता है और ग्लूकोज बनाने में शरीर की अक्षमता। लक्षणः तेज भूख, तेज प्यास, जल्दी-जल्दी पेशाब आना और उसमें चीनी की मात्रा, वजन में कमी, शरीर में खुजलाहट आदि। इस रोग का पूरी तरह से इलाज नहीं है लेकिन नियंत्रित भोजन तथा हल्के व्यायाम और इंसुलिन के इस्तेमाल से रोग को नियंत्रित रखा जा सकता है।

फाइलेरिया (हाथी पांव)

छोटे-छोटे कीटाणुओं द्वारा शरीर में इन्फेक्शन फ़ैल जाता है. जिससे पर का निचला भाग लिम्फ वाहिनी के फूलने से मोटा हो जाता है।

एन्फ्लूएंजा

इसका कारण आर्थोमिजे नामक वायरस है| यह सम्पर्क तथा संक्रमित व्यक्ति जो छोड़ी गई सांस से फैलता है| बुखार, पेशियों में दर्द, ठंड लगना सुखी खांसी आदि इसके लक्ष्ण है|

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