history of sirmour hp in hindi
सिरमौर जिले का इतिहास
जिले के रूप में गठन – 15 अप्रैल, 1948 कुल क्षेत्रफल – 2825 वर्ग कि.मी. (5.07%)
कुल जनसंख्या (2011 में) – 5,30,164 (7.73%) जिला मुख्यालय – नाहन
दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर – 15.61% जनसंख्या घनत्व (2011 में) – 188
ग्राम पंचायत – 228 लिंगानुपात (2011 में) – 915
विधानसभा क्षेत्र – 5 साक्षरता दर (2011 में) – 79.98%
ग्रामीण जनसख्या (2011 में) – 4,72,926 (89.21%)
कुल गाँव – 971 (आबाद गाँव -966) विकासखंड – 6
शिशु लिंगानुपात (2011 में) – 930
सिरमौर जिले का भूगोल
1.भौगोलिक स्थिति – सिरमौर जिला हिमाचल प्रदेश के दक्षिण भाग में स्थित है| यह 30° 22’ से 31° 01’ उत्तरी अक्षांश और 77° 01’ से 77° 49’ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है| सिरमौर जिले के पूर्व में उत्तराखंड, पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में हरियाणा, उत्तर में सोलन और शिमला तथा दक्षिण में हरियाणा और उत्तराखंड की सीमाएँ लगती है| यमुना नदी और टोंस नदी सिरमौर जिले की उत्तराखंड के साथ सीमा बनाती है|
2.धार – सिरमौर जिला गिरी पार (ट्रांस गिरी) और गिरी आर (सीस गिरी) भागों में बांटा जा सकता है| क्योंकि गिरी नदी सिरमौर के बीच से बहती हुई उसे 2 भागों में बांटती है|
A.गिरिपार – गिरिपार क्षेत्र में चुडधार चोटी, नौहाराधार, हरीपुरधार, शिलाई धार, टपरोली-जडोलधार स्थित है| चुडधार सिरमौर की सबसे ऊँची चोटी है|
B.गिरिआर – गिरिआर क्षेत्र में सैनधार, धारटी धार और उपजाऊ क्यारदा दून घाटी स्थित है| यहाँ पर जलाल, बाटा और मारकंडा नदियां प्रमुख है|
3.नदियाँ
सिरमौर की नदियाँ निम्नलिखित है:-
यमुना – यमुना नदी यमुनोत्री (उतराखंड) ने निकलर हिमाचल प्रदेश में खोदरी माजरी में प्रवेश करती है और कौंच (ताजेवाला) से हिमाचल प्रदेश को छोड़कर उतराखंड में प्रवेश करती है| हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी की 3 सहायक नदियाँ है| टोंस नदी खोदरी माजरी में, गिरी नदी रामपुर घाट में और बाटा नदी बातामंडी में यमुना नदी में मिलती है|
गिरी – गिरी नदी ‘कपूर चोटी’ जुब्बल से निकलती है| ददाहू के पास ‘जलाल’ नदी में मिलती है| गिरी नदी रामपुर घाट में यमुना में मिलती है|
टोंस – नदी उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश में कोटी गाँव में प्रवेश करती है| टोंस नदी खोदरी माजरी में यमुना में मिलती है|
जलाल – जलाल नदी बनी गाँव (नेही, पच्छाद) से निकलर सैनधार और धारटीधार को बांटती है| ददाहू के पास जलाल नदी गिरी में मिलती है| जलाल नदी गिरी की सहायक नदी है|
मारकंडा – मारकंडा नदी बड़ावन, कटासन से निकलकर कालाअम्ब की पास हिमाचल प्रदेश से हरियाणा राज्य में प्रवेश करती है|
घग्गर – घग्गर नदी लवासा से निकलर प्रीति नगर के पास हिमाचल प्रदेश से हरियाणा में प्रवेश है|
सिरमौर जिले इतिहास
1.सिरमौर का नामकरण – सिरमौर के प्रचीन निवासी कुलिंद थे| कुलिंद राज्य मौर्य सम्राज्य में शीर्ष पर स्थित था, जिस कारण इसे शिरमौर्य की संज्ञा दी गई जो कालातंर में सिरमौर बन गया| अन्य जनश्रुतियां के अनुसार राजा रसालू के पूर्वज का नाम सिरमौर था, इसलिए राज्य का नाम सिरमौर रखा गया| रियासत की राजधानी का नाम सिरमौर होने के कारण रियासत का नाम सिरमौर पड़ा| इस क्षेत्र में सिरमौरिया देवता की पूजा की जाती थी जिसके कारण राज्य नाम सिरमौर रखा गया|
2.सिरमौर रियासत की स्थापना – ‘तारीख-2 रियासत’ रंजौर सिहं की पुस्तक के अनुसार सिरमौर रियासत की प्राचीन नाम सुलेकिना था| इसकी स्थापना 1139 ई. में जैसलमेर के राजा सालवाहन के पुत्र राजा रसालू ने की थी| उसकी राजधानी सिरमौर ताल थी| एक अन्य जनश्रुति के अनुसार राजा मदन सिहं ने जादू टोना करने वाली स्त्री को धोखा देकर गिरी नदी में मरवा दिया| उस स्त्री के शाप से गिरी नदी के बाढ़ में रियासत बह गई और उसका कोई उतराधिकारी जीवित नहीं बचा जिसके बाद जैसलमेर के राजा सालवाहन द्वितीय ने अपने तीसरे पुत्र हांसू और उसकी गर्भवती रानी सिरमौर भेजा| हांसू की रास्ते में मृत्यु के बाद गर्भवती रानी ने सिरमौरी ताल के पोका में पलाश के वृक्ष के निचे राजकुमार को जन्म दिया जिसका नाम प्लासु रखा गया तथा राज वंश का नाम पलासिया कहा जाने लगा| 1934 ई. के गजेटियर ऑफ़ सिरमौर के अनुसार जैसलमेर के राजा उग्रसेन (सालवाहन द्वितीय) हरिद्वार तीर्थयात्रा पर आये| सिरमौर की गद्दी खाली देख उन्होंने अपने पुत्र शोभा रावल (शुभंश प्रकाश) ने 1195 ई. में राजवन को सिरमौर रियासत की राजधानी बना सिरमौर रियासत की स्थापना की|
3.माहे प्रकाश (1199-1217) – शुभंश प्रकाश की 1199 ई. में मृत्यु होने के बाद माहेप्रकाश राजा बने| उनके शासनकाल में सिरमौर की सीमाएँ गढ़वाल, भागीरथी श्रीनगर और नारायणगढ़ तक फ़ैल गई| उन्होंने भगीरथी नदी के पास “मालदा किले” पर कब्जा कर उसका नाम ‘माहे देवल’ रखा|
4.उदित प्रकाश (1217-1227 ई.) – उदित प्रकाश ने 1217 ई. में सिरमौर रियासत की राजधानी राजवन से कालसी में स्थानांतरित की|
5.कौल प्रकाश (1227-1339 ई.) – कौल प्रकाश ने जुब्बल, बालसन और थरोच को अपने अधीन कर उसे अपनी जागीर बनाया| कौल प्रकाश ने 1235 ई. में रजिया सुल्तान के विरोधी “निजाम-उल-मुल्क” को शरण दी थी|
6.सुमेर प्रकाश (1239-1248 ई.) – सुमेर प्रकाश ने क्योंथल की जागीर रतेश को अपने अधीन कर उसे सिरमौर रियासत की राजधानी बनाया|
7.सूरज प्रकाश (1374-1386 ई.) – सूरजप्रकाश ने जुब्बल, बालसन, कुमारसेन, घुंड, सारी, ठियोग ,रावी, और कोटगढ़ को अपने अधीन कर लगान वसूल किया| सूरज प्रकाश ने सिरमौर रियासत की राजधानी रतेश से पुन: कालसी में स्थापित की|
8.भक्त प्रकाश (1374-1386 ई.) – भक्त प्रकाश फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था| भक्त प्रकाश के शासनकाल में 1379 ई. में फिरोजशाह तुगलक ने सिरमौर रियासत की अपनी जागीर बनाया|
9.वीर प्रकाश (1388-1398 ई.) – वीरप्रकाश ने हाटकोटी की अपनी राजधानी बनाया| उन्होंने पब्बर नदी के किनारे भगवती दुर्गा का मंदिर बनाया| वीर प्रकाश ने “रावीनगढ़ किला” बनाया|
10.राजधानी का स्थानांतरण – नेकट प्रकाश (1398-1414 ई.) ने रियासत की राजधानी गिरी नदी के तट पर ‘नेरी गाँव’ में स्थापित की| गर्वप्रकाश (1414-1432) ने रियासत की राजधानी “नेरी से जोगडी किले में स्थानांतरित की| ब्रह्म प्रकाश (1432-1446 ई.) ने रियासत की राजधानी पच्छाद के “देवठल” में स्थापित की| धर्मप्रकाश (1538-1570 ई.) ने रियासत की राजधानी “देवठल” से बदलकर पुन: कालसी में स्थापित की|
11.दीप प्रकाश (1570-1585 ई,) – दीप प्रकाश से सिरमौर के त्रिलोकपुर में 1573 ई. में बाला सुंदरी का मंदिर बनवाया|
12.कर्मप्रकाश (1616-1630 ई.) – कर्मप्रकाश ने बाबा ने बनवारी दास के परामर्श से 1621 ई. में सिरमौर रियासत की राजधानी ‘कालसी से नाहन’ स्थानांतरित की| कर्मप्रकाश ने नाहन शहर और नाहन किले नींव रखी|
13.मन्धाता प्रकाश (1630-1654 ई.) – मन्धाता प्रकाश शाहजहाँ का समकालीन था|
14.मेदनी प्रकाश (1678-1694 ई.) – मेदनी प्रकाश के शासनकाल में गुरुगोविंद सिहं नाहन और पौंटा आए| पौंटा साहिब में गुरु गोविंद सिहं 1684-1688 ई. तक रहे और भगानी साहिब का युद्ध लड़ा| मेदनी प्रकाश ने नाहन में 1681 ई. में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया|
15.जगत प्रकाश (1773–1792 ई.) – जगत प्रकाश ने गुलाम कादिर रोहिल्ला की युद्ध में हराने के बाद कटासन देवी का मंदिर 1785 ई. में बनवाया|
16.धर्म प्रकाश (1792-1796 ई.) – सिरमौर के राजा धर्म प्रकाश ने कहलूर के राजा महानचंद की सहायता के लिए संसारचंद और हंणडूर रियासत के विरुद्ध युद्ध लड़ा जिसमें 1786 ई, में उसकी मृत्यु हो गयी|
17.कर्म प्रकाश (1796-1815 ई.) – कर्म प्रकाश के शासनकाल में मेहता प्रेम सिहं वजीर की मृत्यु के बाद रियासत में घरेलू विद्रोह होने लगा| कर्मप्रकाश परिवार के साथ 1803 ई. में क्यारदा दून के ‘कांगड़ा किले” में रहने लगे| उन्होंने विद्रोह को बचाने के लिए गोरखों को आंतरिक किया|| रंजौर सिहं (अमर सिहं थापा का पुत्र) ने 1809 ई. सिरमौर रियासत को अपने अधीन कर लिया| रंजौर सिहं ने “जातक दुर्ग” का निर्माण करवाया| कर्मप्रकाश अपनी मृत्यु तक अंबाला के भूरियां में शरण लेकर रहा|
18.फतेह प्रकाश(1815-1850 ई.) – ब्रिटिश सेना ने जनरल मार्टिन डेल के नेतृत्व में जातक दुर्ग से गोरखों को 21 मई, 1815 को 1833 ई. में 50 हजार नजराना देने के बाद ब्रिटिश सरकार ने क्यारदा-दून का वापस दिया| फतेह ने नाहन में ‘शीश महल’ और ‘मोती महल’ का निर्माण करवाया|
19.शमशेर प्रकाश (1856-1898 ई.) – शमशेर प्रकाश ने 1857 ई. के विद्रोह में अग्रेजों का साथ दिया| शमशेर प्रकाश के शासनकाल में 1875 ई. में नाहन फाउंड्री, 1867 ई. में रानीताल बाग़, 1868 ई. में नाहन Municipal कमेटी की स्थापना हुई| 1808 ई. में लॉर्ड रिपन नाहन आए| जबकि 1885 ई. में लॉर्ड डफरिन नाहन आए| 1880 ई. में शमशेर प्रकाश ने अपने रहने के लिए शमशेर विला बनवाया| 1878 ई. में शमशेर प्रकाश ने लॉर्ड लिटन के नाहन प्रवास की स्मृति में लिंटन के नाहन प्रवास की स्मृति में लिंटन मैमोरियल (दिल्ली गेट) बनवाया| शमशेर प्रकाश सबसे लंबी अवधि तक शासन करने वाले (42 वर्ष) सिरमौर के राजा है| शमशेर प्रकाश के बाद टिक्का सुरेंद्र विक्रम सिहं (1898-1911) राजा बने|
20.अमर प्रकाश (1911-1933 ई.) – प्रथम विश्व युद्ध में योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने “महाराजा” की उपाधि से अलंकृत किया| अमर प्रकाश ने अपनी पुत्री के नाम पर नाहन में ‘महिमा पुस्तकालय’ की स्थापना की जो हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना पुस्तकालय है| उन्होंने नाहन-काला अम्ब सडक को 1927 ई. में पक्का करवाया| उनकी मृत्यु ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में 1933 ई. में हुई|
21.राजेन्द्र प्रसाद (1933-1948 ई.) – राजेंद्र प्रकाश सिरमौर रियासत के अंतिम शासक थे| राजेंद्र प्रकाश के समय सिरमौर प्रजामंडल की स्थापना 1937 ई. में और पझौता आंदोलन (1942 ई.) हुआ| पझौता आंदोलन में “किसान सभा” का गठन हुआ| जिसका सभापति लक्ष्मी सिहं तथा सचिव वैध्य सूरत सिहं को चुना| 13 मार्च, 1948 ई. को महाराज राजेंद्र प्रकाश ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए| सिरमौर 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश का जिला बना|