history of mandi district in hindi
history of kullu district in hindi – कुल्लू जिले का क्षेत्रफल
मंडी जिला का इतिहास
मंडी रियासत
मंडी रियासत की स्थापना- मंडी रियासत की स्थापना सुकेत रियासत के राजा साहुसेन के छोटे भाई बाहुसेन ने 1000 ई,में की| बाहुसेन और साहुसेन के बीच अच्छे सबंध नही थे, जिस कारण बाहुसेन से सुकेत रियासत को छोड़कर मंगलौर (कुल्लू) में मंडी रियासत की नींव रखी| बाहुसेन ने हाट (कुल्लू) में राजधानी स्थापित की|
मंडी को पहले किस नाम से जाना जाता था? पहले मंडी जिला को मांडव के नाम से जाना जाता था| यह जिला ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ है| यह स्थान हिमाचल प्रदेश का एक मुख्य धार्मिक व् सांस्कृतिक केंद्र भी है| |
बाणसेन – बाहुसेन की 11 वीं पीढ़ी के राजा करंचन सेन 1278 ई. के आसपास मंगलौर युद्ध में कुल्लू के राजा द्वारा मारे गये| करंचन सेन की गर्भवती पत्नी ने अपने पिता के अधिकार क्षेत्र वाले सिओकोट मंडी में बान(ओक) के वृक्ष के निचे एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम बाणसेन रखा गया| क्यूंकि वह बानवृक्ष के निचे पैदा हुआ था| बाणसेन के नाना की कोई संतान नहीं था, इसलिए बाणसेन सिओकोट का मुखिया बना| बाणसेन ने 13 वीं – 14 वीं सदी में मंडी के भियुली में अपनी राजधानी बनाई| बाणसेन ने पराशर झील के पास पराशर मंदिर का निर्माण करवाया| मंडी में मंडी रियासत की स्थापना का श्रेय बाणसेन को जाता है| जिसने अपनी राजधानी को मंगलौर से भियुली में स्थानातरित किया| बाणसेन ने 1278 ई. में 1340 ई. के मध्य शासन किया| बाणसेन के पुत्र कल्याणसेन ने मंडी शहर के पास बटाहुली में राजधानी की स्थानातरित किया|
who was the founder of mandi state:-
मंडी रियासत की स्थापना 1200 ई। में बाहू सेन ने की थी। लेकिन अजबर सेन वह थे, जिन्होंने 1526 ईस्वी में ऐतिहासिक शहर मंडी की स्थापना की थी। |
अजबर सेन – बाहुसेन की 19 वीं पीढ़ी के अजबर सेन 1527 ई. में मंडी के राजा बने| अजबर सेन ने 1527 ई. में मंडी शहर की स्थापना की| और उसे अपनी राजधानी बनाया| अजबर सेन ने मंडी शहर में भूतनाथ मंदिर का निर्माण करवाया| अजबर सेन की रानी सुल्ताना देबी ने मंडी का त्रिलोकीनाथ मंदिर बनवया|अजबर सेन की 1534 ई. में मृत्यु हुयी|
साहिब सेन (1554-75 ई.) – साहिब सेन अकबर का समकालीन मंडी का राजा था| जिसने गम्मा द्रंग की नमक की खानों को अपने नियंत्रण में किया|
सूरजसेन – सूरजसेन से पूर्व केशवसेन के समय मंडी मुगलों के नियंत्रण में आ गई थी| सूरजसेन ने 1625 ई. में कमलागढ़ किला बनवाया| सूरजसेन ने मंडी में दमदमा महल का निर्माण करवाया| कुल्लू के राजा मानसिहं ने सूरजसेन क पराजित किया था| सूरजसेन ने 18 पुत्रों की मृत्यु के बाद माधोराय की चाँदी की प्रतिमा (16 मार्च, 1648 ई.) बनाई और स्थापना करवाई| मंडी शिवरात्रि मेले में रथयात्रा का आरंभ ईसी तिथि से माना जाता है क्योंकि इस दिन सर्वप्रथम मंडी शिवरात्रि में माधोराय के रथ की शोभायात्रा निकाली गयी थी|
श्यामसेन (1658 ई.)- सूरजसेन का भाई श्याम सेन ने 1658 ई. में मंडी की गद्दी संभाली| श्यामसेन ने मंडी में श्यामा काली मंदिर का निर्माण करवाया|
सिद्धसेन (1678-1727 ई.) – मंडी का राजाओं में सिद्धसेन एक योग्य एवं कुशल योद्धा माना जाता है| उसने मियां जिप्पू को वजीर नियुक्त किया जो एक कुशल प्रशासक और चतुर राजनितिज्ञ था| सिद्धसेन के शासनकाल में गुरु गोविंद सिहं मंडी आये थे| सिद्धसेन ने भंगाल के राजा पृथ्वीपाल की हत्या दमदमा महल की भीतर करवा दी| सिद्धसेन ने 1695 ई. में सरखपुर किला बनवाया था| सिद्धसेन ने सिद्ध गणेश, त्रिलोकीनाथ पंचवक्त्र और सिद्ध जालपा मंदिरों का निर्माण करवाया|
ईश्वरी सेन (1779-1826 ई.) – ईश्वरी सेन को संसार चंद ने 12 वर्ष तक नदौन में कैद रखा| जिन्हें 1805 ईस्वी में गोरखों ने आजाद करवाया मंडी रियासत 1809 ईसवी में सिखों के अधीन आ गई| विलियम मुरक्राफ्ट ने ईश्वरी सेन के समय 1820 ईसवी में मंडी की यात्रा की| ईश्वरी सेन के बाद जालिम सेन मंडी का राजा बना|
बलबीर सेन (1839 ई.) – बलबीर सेन (ईश्वरी सेन का पुत्र) 1839 ई. में मंडी का राजा बना| महाराजा रणजीत सिहं के पोते नौनिहाल सिहं नें 1840 ई. में जनरल वन्चुरा (फ़्रांसिसी) के नेतृत्व में मंडी रियासत पर आक्रमण कर मंडी शहर और कमलागढ़ दुर्ग पर कब्जा कर लिया| 1840 ई. में बलवीर सेन की कैद कर अमृतसर के गोविंदगढ़ किले में रखा गया| मंडी रियासत 9 मार्च, 1846 ई, को ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में आ गई| बलबीर सेन की मृत्यु 1851 ई. में हुई|
वीजे सेन (1851-1902 ई.) – वजीर गसौंण, मियां भाग सिहं के देख रेख में बीजे सेन मंडी के राजा बने| क्लार्क को बीजे सेन की शिक्षा का कार्यभार सौंपा गया| लार्ड मायो 1871 ई. में मंडी आए| वीजे सेन 1872 ई. में पालमपुर दरबार में भाग लिया| सर हेनरी डेविस ने 1874 ई. में मंडी आए| राजा बिजेसेन ने 1877 ई. में दिल्ली दरबार में भाग लिया और ब्यास तट पर विक्टोरिया संस्पेनशन ब्रिज का निर्माण करवाया| उहल नदी पर 1881 ई. में संस्पेशंन पुल का निर्माण करवाया| चार्ल्स एचीनसन ने 1883 ई. में मंडी की यात्रा की| बीजे सेन के साथ मियां उतम सिहं बजीर थे| उसके बाद मियां उद्यान सिहं वजीर बने| मंडी-कुल्लू सड़क का निर्माण 1881 ई. में किया गया| 1901 ई. में पादाजीवानंद को जोधपूर से बुलाकर वजीर नियुक्त किया गया| उन्हें रायबहादुर की उपाधि प्रदान की गयी| विजेसेन की 1902 ई. में मृत्यु हो गई| लार्ड एल्गिन ने 1899 ई. में मंडी की यात्रा की| लाला लाजपत राय 1906 ई. में मंडी आए|