History of Chamba In Hindi

1. भौगोलिक स्थितिचम्बा जिला हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह 32°10′ से 33°12′ उत्तरी अक्षांश तथा 75°47′ से 77°33′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। चम्बा के उत्तर एवं पश्चिम में जम्मू-कश्मीर, पूर्व में लाहौल-स्पीति, दक्षिण में काँगड़ा जिले की सीमाएँ लगती हैं।

2. पर्वत श्रृंखलाएँहाथीधार चम्बा में स्थित है। यह कम ऊँचाई वाले शिवालिक पर्वत है। हाथीधार और धौलाधार के बीच भटियात तहसील स्थित है। पांगी श्रृंखला पीर पंजाल को कहा जाता है। यह पीर पंजाल श्रृंखला बड़ा भंगाल से  चम्बा में प्रवेश कर चम्बा को दो भागों में बांटती है। दगानी धार चम्बा और भद्रवाह (जम्मू-कश्मीर) के बीच की सीमा बनाता है।

3. दरे-जालसु, साच, कुगति, पौंडरी, बसोदन, चम्बा जिले के प्रसिद्ध दर्रे हैं।

4.नदियाँ-चिनाब (चन्द्रभागा) नदी थिरोट से चम्बा में प्रवेश करती है और संसारी नाला से चम्बा से निकलकर जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करती है। उदयपुर में मियार खड्ड और साच में सैचुनाला चिनाब से मिलता है। रावी नदी बड़ा भंगाल से निकलती है। बुढिन और तुन्डाह रावी की सहायक नदियाँ हैं। साल नदी चम्बा के पास रावी से मिलती है। सियूल रावी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। रावी नदी खैरी से चम्बा छोड़कर अन्य राज्य जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करती है।

5. घाटियाँ-रावी घाटी, चिनाब (चन्द्रभागा) घाटी चम्बा में स्थित है। भटियात और सिंहुता चम्बा की सबसे उपजाऊ घाटी है।

6. झीलें-मणिमहेश, गढ़ासरू, खजियार, महाकाली, लामा।

(ii) इतिहासचम्बा की पहाड़ियों में मद्र-साल्व, यौधेय, ओदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किये। इण्डो-ग्रीक और कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था।

1. चम्बा रियासत की स्थापना-चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई0 में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारू ने की थी। मारू ने भरमौर (ब्रह्मपुर) को अपनी राजधानी बनाया। आदित्यवर्मन (620 ई.) ने सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की।

2. मेरु वर्मन (680 ई.)-मेरु वर्मन भरमौर का सबसे शक्तिशाली राजा हुआ। मेरु वर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राज्य का विस्तार किया था। उसने कुल्लू के राजा दत्तेश्वर पाल को हराया था। मेरु वर्मन ने भरमौर में मणिमहेश मंदिर, लक्षणा देवी मंदिर, गणेश मंदिर, नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया) गुग्गा शिल्पी मेरूवर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था। 

3. लक्ष्मीवर्मन (800 ई.)-लक्ष्मी बर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए। तिब्बतियों (किरात) ने चम्बा रियासत के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। लक्ष्मी बर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत, बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा से स्वतंत्र हुआ| 

4. मुसानवर्मन (820 ई.)-लक्ष्मी बर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भागकर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया। पुत्र को गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई। परन्तु वजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहुत सारे चूहों को बच्चे की रक्षा करते हुए पाया। यहीं से राजा का नाम ‘मुसान वर्मन’ रखा गया। रानी और मूसानवर्मन सुकेत के राजा के पास रहे। सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मूसानवर्षन से कर दिया और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी। मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुनः अधिकार कर लिया। मूसान वर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

5. साहिल वर्मन (920 ई.)-साहिल वर्मन (920 ई.) ने चम्बा शहर की स्थापना की। राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चंपावती था।उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पत्री चंपावत के नाम पर रखा वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गया। साहिल वर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। तत्र से रानी नैना देवी की याद में यहाँ प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता

साहिल वर्मन ने लक्ष्मी नारायण, चन्द्रशेखर (साहू) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया।यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है। राजा साहिलवर्मन नव लक्ष्मी नारायण, चंद्रशेखर (साहू) चंद्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया| 

6. युगांकर वर्मन (940 ई.)-युगांकर वर्मन (940 ई.) की पत्नी त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया। युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया।

7. सलवाहन वर्मन (1040 ई.)-राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था। सलवाहन वर्मन के कार्यकाल के शिलालेख मिले हैं जिससे तिस्सा परगना और सेइकोठी का उस समय बलार (बसौली) राज्य में होने का पता चलता है| (बसौली) राज्य में होने का पता चलता है।

8. जसाटा वर्मन (1105 ई.)-जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोते  भिक्षचाचरा का समर्थन किया था। जसटा वर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लौह टिकरी में मिला है।

9.उदयवर्मन (1120 ई.)-उदयवर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देव लेखा और तारा लेखा का विवाह किया जो सुशाला की 1128 ई. में मृत्यु के बाद सती हो गई।

10.लालितवर्मन (1143 ई.)-ललित वर्मन के कार्यकाल के दो पत्थर लेख डिबरी कोठी और सैचुनाला (पांगी) में प्राप्त हुए है जिससे पता चलता है कि तिस्सा और पांगी क्षेत्र उसके कार्यकाल में चम्बा रियासत के भाग थे।

11. विजयवर्मन (1175 ई.)-विजय वर्मन ने मुहम्मद गोरी के 1191 ई. और 1192 ई. के आक्रमणों का फायदा उठाकर कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था।

12. गणेश वर्मन (1512 ई.)-गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ‘सिंह’ उपाधि का प्रयोग किया था।

15. प्रताप सिंह वर्मन (1559 ई.)-1559 ई. में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रताप सिंह वर्मन चम्बा का राजा बना वह अकबर का समकालीन था। चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया। प्रताप सिंह वर्मन ने कांगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था।

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