History Of Bihar In Hindi

बिहार का प्राचीन इतिहास क्या है

-मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है अभियान चिंतामणि के अनुसार मध्य को कीकट कहा गया है| 

– मगध बद्धकालीन समय में एक शक्तिशाली राजतन्त्रों में एक था| यह दक्षिण बिहार में स्थित था, जो कालांतर में उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद बन गया|

-मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विंध्य पर्वत तक, पूर्व में चंपा से पश्चिम में सोन नदी तक विस्तृत थी| 

– मारुति की प्राचीन राजधानी राजगृह थी| यह पांच पहाड़ियों से गिरा नगर था| कालांतर में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई| मगध में तत्कालीन शक्तिशाली राज्य कौशल वतस्व अवंती को अपने जनपद में मिला लिया| इस प्रकार मगध का विस्तार अखंड भारत के रूप में हो गया और प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास बना| 

प्राचीन गणराज्य

-प्राचीन बिहार में बुध का ऋण समय में गंगा घाटी में लगभग 20 गणराज्यों का उदय हुआ| ये गणराज्य है-

कपिलवस्तु के शाक्य, सुम्सुमार पर्वत के भाग, केशपुत्र के कलाम, रामग्राम के कोलिए, कुसी मारा के मल्ल, पाव के मल्ल, पीपलीवन के मारिय, आय्क्ल्प के बुली, वैशाली के लिच्छवी, मिथिला के विदेह|

विदेह-प्राचीन काल में आर्यजन अपने गणराज्य का नामकरण राजन्य वर्ग के किसी विशिष्ट व्यक्ति के नाम पर किया करते थे, जिन्हें विदेह कहा गया| यह जन का नाम था| कालांतर में विदध विदेह हो गया| विदेह राजवंश की शुरुआतइशवाकू के पुत्र निमी विदेह के मानी जाती है| इस वंश का राजा मिथिजनक विदेह ने मिथिलांचल की स्थापना की| इस वंश के 24 वें राजा सिरध्वज जनक थे, जो कौशल के राजा दशरथ के समकालीन थे| 

-विदेह की राजधानी मिथिला थी| इस वंश के करल जनक अंतिम राजा थे|

-पटना और गया जिला का क्षेत्र प्राचीन काल में मगध के नाम से जाना जाता था|

– मगध प्राचीन काल से ही राजनीतिक उत्थान पतन एवं सामाजिक धार्मिक जागृति का केंद्र बिंदु रहा है| मगध बुद्ध के समकालीन एक शक्तिशाली व संगठित राजतंत्र था|  कालांतर में मगध का उत्तरोत्तर विकास होता गया और मगध का इतिहास भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास के प्रमुख स्तंभ के रूप में संपूर्ण भारतवर्ष का इतिहास बन गया| 

वृहद्रथ वंश- यह भविष्य सबसे प्राचीनतम वंश माना जाता था महाभारत कथा पुराणों के अनुसार जरासंध के पिता तथा तथा चेदीराज बसु के पुत्र बृहद्रथ ने बृहद्रथ वंश की स्थापना की| 

इस वंश में दस राजा हुए जिसमें वृहद्रथ पुत्र जरासंध प्रतापी सम्राट था| जरासंध ने काशी, कौशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, वलिंग, कश्मीर और गांधार राजाओं को पराजित किया| इस वंश का अंतिम राजा रिपुंजय था| रिपुंजय को उसके दरबारी मंत्री पुलिक ने मारकर अपने पुत्र को राजा बना दिया| 

वैशाली के लिच्छवी- बिहार में स्थित प्राचीन गणराज्य में दूध कालीन समय में सबसे बड़ा तथा शक्तिशाली राज्य था| इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशी राजा इशवाकू के पुत्र विशाल ने की थी, जो कालांतर में वैशाली के नाम से विख्यात हुई| 

हर्यक वंश-  हर एक वंश की स्थापना दिन बिहार में 544 ई.पु. में की थी| इसके साथ ही राजनीति की शक्ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ| बिंबिसार को मगध समराज्य का वास्तविक संस्थापक व राजा माना जाता है| बिंबिसार ने गिरीवज्र (राजगीर) को अपनी राजधानी बनाया| इसके वैवाहिक संबंधों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया|

बिम्बिसार (544 ई.पु.) से 492 ई.पू) – बिम्बिसार एक कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था| उसने प्रमुख राजवंशों में वैवाहिक संबंध स्थापित कर राज्य को फैलाया| 

-महवग्ग के अनुसार बिम्बिसार की 500 रानीयां थी| उसने अवंती के शक्तिशाली राजा चंद्र प्रद्योत के साथ दोस्ताना संबंध बनाया| उसने अन्य राज्यों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था| वहां अपने पुत्र अजातशत्रु को उप राजा नियुक्त किया गया था|

-बिम्बिसार महात्मा बुध का मित्र और संरक्षण था| विनयपिटक के अनुसार बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया लेकिन जैन और ब्राह्मण धर्म के प्रति उसकी सहिशुणता थी| बिम्बिसार ने करीब 52 वर्षों तक शासन किया| बौद्ध और जैन ग्रन्थानुसार उसके पुत्र अजातशत्रु ने उसे बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था| जहाँ उसका 492 ई.पू. में निधन हो गया| 

-बिम्बिसार ने अपने बड़े [पुत्र “दर्शक” को उतराधिकारी घोषित किया था| 

-भारतीय इतिहास में बिम्बिसार प्रथम शाशक था| जिसने स्थाई सेना रखी| 

– बिम्बिसार की हत्या महात्मा बुद्ध के विरोधी देवव्रत के उकसाने पर अजातशत्रु ने की थी| 

शिशुनाग वंश:- शिशुनाग वंश 492 ई.पू. गद्दी पर बैठा| महावंश के अनुसार वह लिच्छवी राजा वेश्या पत्नी से उत्पन्न पुत्र था| पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था| इसने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वंदी राज्य अवन्ती को मिलाया| मगध की सीमा प्र्शिम मालवा तक फ़ैल गयी और वत्स की मगध में मिला दिया| वत्स और अवन्ती के मगध में वलय से, पाटलीपुत्र को पश्चिमी देशों से,व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया| 

-शिशुनाग ने मगध से बंगाल की सीमा से मालवा तक विशाल भू-भाग पर अधिकार कर लिया| 

-शिशुनाग एक शक्तिशाली शासक था| जिसने गिरिवज्र के आलावा वैशाली नगर को भी अपनी राजधानी बनाया| 394 ई.पू. में इसकी मृत्यु हो गई|
कालाशोक:- यह शिशुनाग का पुत्र था| जो शिशुनाग के 394 ई. पु. मृत्यु के बाद मगध का शासक बना| महावंश में इसे कालाशोक तथा पुराणों में काकवर्ण कहा गया है| कालाशोक ने अपनी राजधानी को पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दिया था| इसने 27 वर्षों तक शासन किया| कालाशोक के शासनकाल में ही बौद्ध धर्म की द्वीतीय संगीति का आयोजन हुआ| 

-344 ई.पु. में शिशुनाग वंश का अंत हो गया और नंद वंश का उदय हुआ| 

नंद वंश:-244 ईसा पूर्व में महापद्मनंद नामक व्यक्ति ने नंद वंश की स्थापना की पुराणों में इसे महापदम तथा महाबोधि वंश में उग्रसेन कहा गया है यह नाई जाति का था| 

– चाणक्य ने अपनी कूटनीति से धनानंद को पराजित कर चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का शासक बनाया|

– नंद वंश के समय मगध राजनैतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्धशाली साम्राज्य बन गया|

बिहार का मध्यकालीन इतिहास

मौर्य राजवंश

– 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की सहायता से धनानंद की हत्या कर मौर्य वंश की नींव रखी थी|

– चंद्रगुप्त मौर्य ने नंदों के अत्याचार व घृणित शासन से मुक्ति दिलाई और देश को एकता के सूत्र में बांधा और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की|यह सम्राज्य गणतंत्र व्यवस्था और राजतंत्र व्यवस्था की जीत थी| इस कार्य में अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र नामक पुस्तक द्वारा चाणक्य ने सहयोग किया| विष्णुगुप्त व कौटिल्य उसके अन्य नाम है| आर्यों के आगमन के बाद यह प्रथम स्थापित साम्राज्य था|

चंद्रगुप्त मौर्य (322 ई.पू. से 297 ई.पू.) – चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म वंश के संबंध में विवाद है| ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में परस्पर विरोधी विवरण मिलता है| 

– जिस समय चंद्रगुप्त राजा बना था उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत खराब थी| उसने सबसे पहले एक सेना तैयार की और सिकंदर के विरुद्ध युद्ध प्रारंभ किया| 317 ई. पूर्व तक उसने संपूर्ण सिंध और पंजाब प्रदेशों पर अधिकार कर लिया| अब चंद्रगुप्त मौर्य वंश इन तथा पंजाब का एकक्षत्र शासक हो गया| पंजाब और सिंध विजय के बाद चंद्रगुप्त तथा चाणक्य ने धनानंद का नाश करने हेतु मगध पर आक्रमण कर दिया गया|  युद्ध में धनानंद मारा गया और अब चंद्रगुप्त भारत के विशाल संघ राज्य मगध का शासक बन गया| 

-सिकंदर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस उसका उत्तराधिकारी बना| वह सिकंदर द्वारा जीता हुआ भू-भाग प्राप्त करने के लिए उत्सुक था| जिस उद्देश्य से 305 ईसा पूर्व उसने भारत पर चढ़ाई की चंद्रगुप्त में पश्चिमी उत्तर भारत में यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर एरिया (हेरात), अराकोसिया (कंधार), जेड्रोसिया पेरोपेनीसडाई (काबुल) के भू-भाग की अधिकृत कर विशाल भारतीय सम्राज्य की स्थापना की| सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री हेलन का विवाह चंद्रगुप्त से कर दिया उसने मेगस्थनीज को राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में नियुक्त किया|

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