Electric Current Definition in hindi
light chapter for competitive exams in hindi : भौतिक विज्ञान: प्रकाश reflection
विद्युत् धारा
किसी चालक में विद्युत् आवेश की दर की विद्युत् धारा कहते है| विद्युत् धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा को ओर मानी जाती है| इसका S.I. मात्रक एम्पीयर है| यह एक आदिश राशि है|
ओम का नियम : यदि चालक की भौतिक अवस्था जैसे-ताप आदि में कोई परिवर्तन न हो तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभांतर उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है|
-धातुओं का ताप बढाने पर उनका प्रतिरोध बढ़ता जाता है|
-अर्द्धचालकों का ताप बढाने पर उनका प्रतिरोध घटता जाता है|
अमीटर (Ammeter) : विदुयुत धारा को एम्पीयर में मापने के लिए आमीटर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है| एक आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होता है|
वोल्टमीटर (Voltmeter) : वोल्टमीटर का प्रयोग परिपथ के किन्हीं दो बिदुओं के बिच विभांतर मापने में किया जाता है|

विद्युत् फ्यूज: विद्युत् फ्यूज का प्रयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है, यह दिन (63%) और सीमा (37%) की मिश्रधातु का बना होता है| इसका गलंनाक कम होता है| प्राकृतिक चुम्बक लोहे का ऑक्साईड है|
अतिचालकता (Super Conductor) : अत्यंत निम्न ताप पर कुछपदार्थों काविद्युत् प्रतिरोध शून्य हो जाता है, इन्हें ही अतिचालक कहते है और इस गुण को अतिचालक कहते है|
अर्द्धचालक (Semi Conductor) : ऐसे प्रदार्थ जिनमें इलेक्ट्रोनिक सरंचना इस प्रकार होती है| की वहीँ इलेक्ट्रान मुक्त हो जाता है| और कहीं रिक्त बन होता है, अर्द्धचालक कहलाते है| इनकी विद्युत् चालकता सामान्य ताप पर चालक व् विद्युत् रोधी पदार्थों की चालकताओं के मध्य होती है|जर्मेनियम और सिलकिन ऐसे मुख्य पदार्थ है|
रेडियों सक्रियता : जिन नाभिकों में प्रोटान की संख्या 83 या उससे अधिक होती है, वे अस्थायी होते है| स्थायित्व प्राप्त करने के लिए ये नाभिक स्वत: अल्फ़ा, बीटा, गामा किरणें उत्सर्जित करने लगती है| ऐसे नाभिक जिन तत्वों की के परमाणुओं में होते है| उन्हें रेडियोएक्टिव कहते है| तथा किरणों की उत्सर्जन की धटना की रेडियों की सक्रियता कहते है|
सबसे अधिक वेधन क्षमता गामा किरण को होती है| सबसे अधिक आयनन क्षमता अल्फ़ा की होती है|