Bihar Samanya Gyan Gk in hindi

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बिहार की न्यायपालिका
उच्च न्यायलय :
-पटना उच्च न्यायलय बिहार राज्य का उच्च न्यायलय है| यह 3 फरवरी, 1916 को स्थापित किया गया था| यह भारत सरकार अधिनियम 1915 के तहत सम्बद्ध था|
-उच्च न्यायलय की आधारशिला 1 दिसम्बर 1913 को भारत के गवर्नर जनरल ‘सर चार्ल्स हार्डिंग’ ने रखी थी|
-पटना उच्च न्यायलय के निर्माण को पूरा करने के बाद औपचारिक रूप से इसे 3 फरवरी 1916 को खोला गया था| ‘जस्टिस एडवर्ड मेनार्ड डेस चौंप चेमियर’ पटना उच्च नायालय के पहले मुख्य न्यायधीश थे|
-इस उच्च न्यायलय ने भारत के दो मुख्य न्यायधीशों को दिया है: मननीय श्री न्यायमूर्ति भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा, 6 वें सीजेआई, और माननीय श्री जस्टिस ललित मोहन शर्मा 24 वें सीजेआई|

Bihar General Knowledge Gk in hindi
Bihar General Knowledge Gk in hindi

विधानमंडल :
बिहार उन साथ राज्यों में से एक है, जहाँ द्विसदनीय विधायिका मौजूद है| अन्य राज्य उतर-प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश है|

विधान परिषद :
यह उपरी सदन के रूप में कार्य करती है और विधानसभा विधायिका के निचले सदन के रूप में कार्य करती है| बिहार सभा पहली बर 1937 में हुई थी| सदन की वर्तमान सद्स्य संख्या 243 है|

कार्य:
बिहार की विधानसभा एक स्थायी निकाय नहीं है और विघटन के अधीन है| विधायी विधानसभा का कार्यकाल पहली बार भंग होने तक उसकी पहली बैठक के लिए नियुक्त तारीक से 5 वर्ष है|
विधान सभा के सद्स्य सीधे लोगों द्वारा चुने जाते है| हर साला तिन स्तर (बजट सत्र, मानसून सत्र, शीतकालीन सत्र) होते है|

विधान परिषद:
-12 दिसम्बर 1911 को ब्रिटिश सरकार ने बिहार और उड़ीसा का एक नया प्रांत बनाया था| 1912 में विभिन्न श्रेणियों के कुल 43 सदस्यों के साथ विधान परिषद का गठन किया गया था| परिषद के पहली बैठक 20 जनवरी 1913 को आयोजित की गई थी| भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत यूनीकैमरल विधयिका की बिहार विधानसभा और बिहार विधानसभा में द्विपक्षीय रूप में परिवर्तित कर दिया गया|
-भारत सरकार अधिनियम 1935 तहत बिहार विधान परिषद में 29 सद्स्य शामिल थे|
-पहले आम चुनाव 1952 के बाद, सदस्यों की संख्या 72 तक बढ़ी और 1958 तक यह संख्या 96 तक बढ़ी| झारखंड के निर्माण के साथ संसद द्वारा पारित बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के परिणामस्वरूप बिहार विधान परिषद की ताकत 96 से घटकर 75 सदस्यों तक हो गई|

कार्य:
-बिहार विधान परिषद की एक स्थाई निकाय है और भी गठन के अधीन नहीं है लेकिन जितना संभव हो सके सदस्यों के एक तिहाई प्रत्येक दूसरे वर्ष की समाप्ति पर जल्द से जल्द सेवानिवृत्त हो सकते हैं|
-सदस्य को अब 6 साल के लिए निर्वाचित या मनोनीत किया जाता है और उनमें से एक तिहाई हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं|
-ऊपरी सदन के सदस्य विधान परिषद उपाध्यक्ष रूप से एक चुनावी कॉलेज के माध्यम से चुने जाते हैं वर्तमान में 27 समितियां है, जो परिषद में कार्यात्मक हैं|
-इसके अलावा तीन विधान समितियां हैं, जिनमें राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्य शामिल है|

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कार्यपालिका
-संसदीय शासन पद्धति के अनुरूप बिहार में भी कार्यपालिका के 2 स्वरूप है – नाम मात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका|
-राज्य प्रशासन ने राज्यपाल एक संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में है जिसमें शासन की सभी शक्तियां निहित है, किंतु उसे राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुरूप कार्य करना होता है|
-राज्य का संवैधानिक प्रधान ने राज्यपाल होता है, जबकि वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री होता है|
-राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत ही पद पर रहता है राष्ट्रपति उसे कार्यकाल समाप्ति के पूर्व भी हटा सकते हैं|
राज्यपाल के पद पर नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति में निम्न योग्यताएं होना अनिवार्य है:-

  1. वह भारत का नागरिक हो 2. वह 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो 3. किसी प्रकार के लाभ के पद पर ना हो 4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो|
  2. -राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठ न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद पर गोपनीयता की शपथ ग्रहण करता है|
  3. -राज्यपाल विधान मंडल का सत्राहवान, सात्रवसान तथा विघटन करता है|

उन्मुक्तियां एवं विशेषाधिकार:
-राज्यपाल अपने कर्तव्य पालन के संध में किसी भी नय्यालय में उतरदायी नहीं होगा| -अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल की गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है|
-कार्यकाल के दौरान राज्यपाल के विरुद्ध फौजदारी मुकदमा नहीं शुरू किया जा सकता है|

राज्यपाल की शक्तियां एवं कार्य:
-राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का प्रधान होता है, संविधान के अनुसार राज्य की -समस्त कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित होती है| (अनुच्छेद-154)
-राज्यपाल की शक्तियां तथा इसके कार्य को मुख्य रूप से निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है:-
1.कार्यपालिका 2.विधायी 3.वितीय 4.न्याय सबंधी 5.स्वविवेकी 6.आपातकालीन शक्तियाँ

कार्यपालिका शक्तियाँ:
-मुख्यमंत्री की नियुक्ति
-अन्य मंत्रियों की नियुक्ति
-महाधिवक्ता की नियुक्ति

-राज्यपाल राज्यों के विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होता है तथा उप कुलपतियों को भी नियुक्त करता है|
-राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है|
-मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करने का अधिकार
-राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है|

विधाई शक्तियाँ:
-राज्यपाल विधान मंडल का अभिन्न अंग है| (अनुच्छेद-164)
-राज्यपाल विधानमडंल का सत्रावहान करता है, उसका सत्रावहान करता है तथा उसका विघटन करता है| राज्यपाल के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करता है|
-राज्य विधानसभा के किसी सद्स्य पर अयोग्यता का प्रश्न उत्पन्न होता है, तो योग्यता सबधी विवाद का निर्धारण राज्यपाल चुनाव आयोग से परामर्श करके करता है|
-राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है|
-अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद-213)
-यदि विधान सभा के आंग्ल भारतीय समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं प्राप्त है, तो राज्यपाल उस समुदाय के एक व्यक्ति को विधान सभा सद्स्य मनोनीत कर सकता है| (अनुच्छेद-333)

वितीय शक्तियाँ:
-बिना राज्यपाल की अनुशंशा के विधान मंडल में धन विधयेक नहीं प्रस्तुत किया जा सकता है|
-प्रत्येक वितीय वर्ष के प्रारम्भ होने के पहले राज्यपाल विधान मंडल में वित् मंत्री द्वारा बजट प्रस्तुत करवाता है|
-राज्य की आकस्मिक निधि उनके अधीन रहती है, जिसमें वह राज्य विधानमंडल की स्वीकृति मिलने तक आकस्मिक घटनाओं से निपटने के लिए अग्रिम धनउपलब्ध करा सकता है|

न्यायिक शक्तियाँ
राज्यपाल राज्य के कानून के उल्लंघन करने के परिणाम स्वरूप किसी व्यक्ति को दी गई सजा को कम कर सकता है, या पूरी तरह क्षमादान कर सकता है, किंतु वह मृत्युदंड को माफ नहीं कर सकता और ना सैनिक अदालत द्वारा दंडित किए गए अपराधी के संबंध में कुछ कर सकता है|

विवेकाधिकार या स्वविवेकी शक्तियाँ:
राज्यपाल को निम्न विवेकअधिकार प्राप्त है:-
-राज्य की संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करते हुए अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेज सकता है|
-वह राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित भी देखो अपने विवेकाधिकार से राष्ट्रपति के -विचार सुरक्षित रख सकता है यदि उसे लगे कि उक्त विधेयक संघीय कानून या नीतियों के प्रतिकुल है|
-पराजित मंत्रिपरिषद की सलाह पर विधानसभा को बंद करने के संबंध में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है|
-यदि विधानसभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो वैसी स्थिति में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करने का अवसर मुझे अधिक मिलता है|
-विवेकाधिकार शक्ति के अंतर्गत राज्यपाल द्वारा किए गए किसी भी कार्य को न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है|

आपात शक्तियां:
जब राज्यपाल को यह आभास हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिनमें राज्य का शासन संविधान के उपबंधुओं के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेजकर यह कह सकता है कि राष्ट्रपति राज्य के शासन के सभी या कोई कृत्य स्वयं ग्रहण कर लें| इसे सामान्यतः राष्ट्रपति का शासन जाता है| (अनुच्छेद-356)

राज्यपाल की स्थिति:
यदि हम राज्यपाल के उपयुक्त अधिकारों पर दृष्टिगत करें तो ऐसा लगता है, कि राज्यपाल एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है, किंतु वास्तविकता इससे भिन्न है| हमने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है, जिसमें मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होता है|अतः वास्तविक शक्तियां मंत्रिपरिषद को प्राप्त होती है ना कि राज्यपाल को| राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख रूप से कार्य करता है, किंतु असाधारण स्थितियों में उसे इच्छा अनुसार कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकते हैं|

उपराज्यपाल
दिल्ली, पुडुचेरी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह|

प्रशासक
दादर एवं नागर हवेली, लक्षद्वीप, दमन तथा दीव|

बिहार सामान्य ज्ञान 2022

मुख्यमंत्री
-राज्य प्रशासन में मुख्यमंत्री सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है और प्रशासन का केंद्र बिंदु होता है
-मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है साधारण दो वैसे व्यक्ति को -मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता हो
-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं पुडुचेरी में चुनाव पश्चात मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है और मुख्यमंत्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदाई होता है|
-राज्य कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री ही होता है|
-मुख्यमंत्री राज्यपाल एवं मंत्रिमंडल के बीच कड़ी का काम करता है|

मंत्री परिषद
-संविधान के अनुच्छेद-163 के अनुसार एक मंत्री परिषद की व्यवस्था की गई है जो राज्यपाल को उनके कार्यों में परामर्श एवं सहायता देने के लिए होती है|
-मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य की विधानसभा के प्रति तथा व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदाई होता है|
-संविधान के अनुच्छेद -164 ( क) के अनुसार राज्यपाल द्वारा सर्वप्रथम मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है तथा उसके बाद मुख्यमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है|

मंत्री परिषद के कार्य:
-मंत्री परिषद यह राज्य की नीतियों को निर्धारित करती है|
-विधानमंडल के सर्वोच्च समिति होने के कारण यह विधानमंडल का अधिवेशन बुलाती है, स्थगित करती है तथा इसकी कार्य सूची तैयार करती है|
-राज्य के सार्वजनिक वित्त पर मंत्री परिषद का अधिकार होता है| मंत्री परिषद ही बजट बनाती है तथा उसे विधानमंडल में प्रस्तुत करती है|
-राज्यपाल राज्य के समस्त महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है|

बिहार के वर्तमान GK

प्रशासनिक व्यवस्था एवं ढांचा:
-बिहार राज्य का 1912 ईस्वी में एक अलग राज्य के रूप में उदय होने के पश्चात राज्य में प्रशासन की स्वतंत्र व्यवस्था गठित हुई, परंतु 1936 ईसवी में उड़ीसा के अलग होने उसके पश्चात 1956 ईसवी में राज्यों की सीमा का पुनर्गठन तथा 15 नवंबर 2000 झारखंड के विभाजन के बाद वर्तमान बिहार की वास्तविक प्रशासनिक रूप रेखा सामने आई है|
-बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था का विभाजन भौगोलिक एवं प्रशासनिक दायित्व के आधार पर किया गया है| यद्यपि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था राज्य कार्यपालिका के अधीन होती है तथा भी स्वतंत्र प्रशासनिक दृष्टि देर से स्थानीय शासन एवं प्रशासन के रूप में संचालित किया जाता है प्रशासन की सुविधा के लिए इसे निम्नलिखित 5 इकाइयों में विभाजित किया जाता है:
1.प्रमंडल 2. जिला मंडल 3. अनुमंडल 4. प्रखंड 5. ग्राम पंचायत|

-राज्य के इन सभी प्रशासनिक इकाइयों का संचालन एवं उनके बीच समन्वय करने के लिए सचिवालय का गठन किया गया है|

सचिवालय
-बिहार में सचिवालय का गठन 1912 ईस्वी में किया गया था| यह राज्य प्रशासन का केंद्रीय प्रशासनिक निकाय है सचिवालय मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमंडल के नीचे आता है जो कि राज्य प्रशासन की शीर्ष संस्था है|
-स्थापना के समय सचिवालय में केवल 8 विभाग थे, जो 1955 में बढ़कर 34 हो गए|
सचिवालय का प्रधान मुख्य सचिव होता है यह भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य होता है इन के अंतर्गत प्रत्येक विभाग के प्रधान सचिव होते हैं|
-सचिवालय का मुख्य कार्य नीति निर्धारण क्षेत्रीय नियोजन एवं परियोजना निर्माण विधान निर्माण एवं नियमावली का गठन बजट एवं नियंत्रण व्यवस्था क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन तथा समन्वय के साथ-साथ विभिन्न विभागीय मंत्रियों मुख्यमंत्रियों एवं राज्य मंत्रियों उनके दायित्व के निर्वाह में सहायता प्रदान करता है|

प्रमंडल
-राज्य में क्षेत्रीय प्रशासनिक इकाई का शीर्ष संगठन प्रमंडल है|
-प्रमंडल का उच्चतम अधिकारी आयुक्त कमिश्नर होता है और उसकी सहायता हेतु अनेक अपर आयुक्त तथा अन्य अधिकारी होते हैं|
-स्वतंत्रता प्राप्ति के समय बिहार में केवल चार प्रमंडल (तिरहुत, भागलपुर, पटना तथा छोटानागपुर) थे| जिनकी संख्या वर्ष 2000 में झारखंड राज्य के गठन के पूर्व बढ़कर 13 हो गई थी|
-झारखंड राज्य के गठन के साथ बिहार के पलामू संथाल परगना उत्तरी छोटानागपुर तथा दक्षिणी छोटानागपुर के नवनिर्मित राज्य में चले जाने के कारण वर्तमान समय में बिहार में प्रमंडल की संख्या 9 है|

जिला
-यह क्षेत्रीय प्रशासन का महत्वपूर्ण इकाई है|
-जिला प्रशासन का प्रमुख दायित्व जिलाधिकारी का होता है|
-इसके अधिकार में जिला स्तर पर प्रशासनिक कार्यों का समन्वय एवं कारण होता है
-1970 के दशक में जिला अधिकारी (जिला मजिस्ट्रेट) से विकास कार्य को प्रेषित कर जिला विकास पदाधिकारी को सौंपा गया जो जिला ग्राम विकास संस्था के अतिरिक्त नागरिक आपूर्ति राहत एवं पुनर्वास कार्यों के दायित्व का निर्वहन भी करता है|
-जिलाधिकारी सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा का पदाधिकारी होता है यह जनता एवं प्रशासन के बीच कड़ी की भूमिका निभाने के साथ-साथ जिला चुनाव अधिकारी भी होता है वर्तमान में बिहार में कुल 38 जिले हैं|

अनुमंडल
-कई प्रखंडों को मिलाकर एक अनुमंडल का गठन किया जाता है इसके प्रशासन का संचालन अनुमंडल का अधिकार पदाधिकारी द्वारा किया जाता है| यह राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी होता है|
-अनुमंडल पदाधिकारी को मैजिस्ट्रेट की शक्तियां प्राप्त होती है इस पर प्रखंडों के सर्किल अवसर पर नियंत्रण एवं निगरानी का दायित्व होता है अनुमंडल अधिकारी पंचायत समितियों की बैठकों में भाग लेता है तथा प्रशासन एवं समिति के बीच कड़ी का काम करता है|

प्रखंड
-ग्राम पंचायतों को मिलाकर एक प्रखंड बनता है प्रत्येक प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी होता है जिस पर प्रखंड के भौगोलिक क्षेत्र में कल्याण एवं विकासआत्मक कार्यों का उत्तरदायित्व होता है|
-यह प्रारंभिक चिकित्सा व्यवस्था, प्रारंभिक शिक्षा राहत एवं पुनर्वास, कृषि विकास तथा पशुधन विकास जैसे कार्य को संपन्न करता है|

ग्राम पंचायत
-यह राज्य की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई होती है इसका मुख्य प्रधान होता है गांव का प्रबंध एवं सुधार ग्राम पंचायत द्वारा ही किया जाता है|

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